बक्सर खबर (माउथ मीडिया) । जमीन का झगड़ा अगर थाने पहुंच जाए तो समझो की दुहा जाओगे। का समझे, दरोगा सब बात-बात पर रोकड़ा मागता है। जायज हो या नाजायज दोनों तरफ से वसूले लगता है सब। यह बातें कह बतकुच्चन गुरू मेरी तरफ देखने लगे। मैंने सोचा यह कहुं, यह कौन सी नई बात है। लेकिन, खामोश ही रहा, क्योंकि उनको टोकना खतरे से खाली नहीं है। वे बाले जा रहे थे, एगो महिला मिली थी, बता रही थी ओकर पति फौजी है। मरदाना नौकरी में है सो जनाना दूसरी जगह रहती है। साथ में ससुर जी भी रहते हैं। क्योंकि वे बुजुर्ग हो गए हैं।
इधर गांव पर मौका का लाभ उठा दयाद सब जमीन को दखल कर रहा है। एकर शिकायत ले जनाना यहां-वहां दौड़ रही है। पुलिस वालन से मदद लेने गई। उ सब का अपना फिस है। केस अगर सीरियस है तो फिस डबल है। खैर कुल मिला जुला के रुपया सब औरत से ले लिए रहे हैं। काम जौन है कि रुका नहीं। उ औरतिया धाई-धाई के सबका फोन कर रही है। हम फौजी के मेहरारु हैं, हमरा कोनो नहीं सुन रहा है। रुपया गिन लिहिस अब ऊपर से आदेश लावे ला बोल रहा है। इतना बोल के बतकुच्चन गुरु ने सांस ली और मेरी तरफ सवाल भरी नजरों से देखने लगे। मुझे लगा अब बोलना चाहिए व कुछ जवाब चाहते हैं शायद। लेकिन अगले ही पल वे फिर शुरू हो गए, सब लालच करा रहा है। कोनो नहीं सुधरेगा, भाई से भाई का झगड़ा, मरद से मेहरारू का झगड़ा, जहां देखो वहां झगड़ा ससुरा प्रेम है तो सबको बस रुपया से।
जाओ गुरु-गुरू जाओ तू अपना काम करो। हमरी सुनोगे तो तुम लिखोगे, और ससुर कछु सिस्टम के गरिवायेंगे और कुछ तोहे !!! इतना कह वे अपनी राह चल पड़े। मैं भी लौट चला अपने ठिकाने की तरफ। लेकिन, एक सवाल जेहन में कौंध रहा था। इ कौन दरोगा है जौन मनई रुपया ले के भी पलट गया। और उससे भी गंभीर मसला यह है कि आखिर किसी के साथ अगर ऐसा अन्याय होता है तो वह कहां जा। जहां से उसे समय रहते न्याय मिले। बहुत सोचने के बाद भी मुझे कोई उचित जवाब नहीं मिल रहा। शायद आप लोगों को मिले।
नोट : माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कॉलम है। इसमें खट्टी मीठी बातों का समावेश है और समाज का दर्द। जिसे व्यंग का रूप देने का प्रयास किया गया है। )