बक्सर खबर (माउथ मीडिया) : बचकुच्चन गुरू मिले तो गुमसुम बैठ के जैसे कुछ बुदबुदा रहे थे। मैं गौर से उनको सुनने का प्रयास करने लगा। आखिर बोल क्या रहे हैं। या किसी मंत्र का जाप कर रहे हैं। लेकिन, कुछ समझ में नहीं आया। मैंने ऊंचे स्वर में कहा, गुरू नमस्कार क्या सोच रहे हैं। मेरी तरफ देखते ही बोल पड़े। आ गए, तोहरे बारे में सोच रहे थे। इ बताओं मीडिया वाला सब बिकाउ हो गवा है का? उनके सवाल को सुन मैं खामोश हो गया। बोला कुछ नहीं। क्योंकि इसकी जरुरत नहीं थी। वे स्वयं ही कुछ बोलेंगे यह पता था। हुआ भी वहीं, वे शुरू हो गए।
गुरु हमार इस नहीं बुझाता है, जौन मिला के देखो मीडिया बिकाउ है टाइप बोलता है। लेकिन, ससुरा जेकरा देखो पत्रकार बने का शौक है। लिफाफा टाइट करके घूम रहा है। पहले सुनते थे, नेता सब खराब है। अब सुनते हैं मीडिया वाला खराब है। ससुरा जब दुनों खराबे हैं तो भीड़ काहे लगा है। जे देखिए उहे जोगाड़ में लगा है। पुरनिया सब ठीके कहा है, ढेर जोगी मठ के उजार। इतना सुनने के बाद मैंने कहा, स्थिति गजब आ गई है। लोग कुछ भी बोलते हैं। क्या किया जाय समझ में नहीं आता। मेरी बात सुन बचकुच्चन गुरु हंसने लगे।
बोले गुरू जमाना बदल नहीं रहा। कलुषित होता जा रहा है। जहां एक दूसरे पर दोषारोपण होगा, गाली-गलौज होगा। वहीं बेटा बाप के गारी देगा, का समझे। अब उहे हो रहा है। सब बेइमान अपने को ईमानदार बता रहा है। अपने मांगता है तो चंदा, दूसरा मांगे तो कहता है गंदा। मन में बहुते बात आता है। लेकिन, ओकरा जबान पर लावे से पहिले सोचे चाही। इहे गंभीरता है। लेकिन, अइसन मनइ अब तोहरा मुश्किल से मिलेंगे। ए बदे हम कहते हैं, बरसात में कीचड़ से अउर नेता लिच्चड़ से बच के रहिए। कहते हुए बतकुच्चन गुरू हंस के निकल लिए।
नोट- माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं। जिससे हम इसे और बेहतर बना सकें।