टिड्डों से करना होगा धान के बिचड़े का बचाव

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-कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार करें दवा का छिड़काव
बक्सर खबर। अपने यहां भी टिड्डों के दल ने फसल का नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। इनका प्रभाव धान के बिचड़ों पर देखा जा रहा है। वे मुलायम पत्तियों को खा रहे हैं। इस वजह से किसान परेशान हैं। क्योंकि अगर बिचड़े ही नहीं रहे तो फसल कैसे तैयार होगी। किसानों की इस चिंता के बारे में जब कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञ रामकेवल से विमर्श किया गया। उन्होंने कहा यह बाहर से आए टिड्डी दल नहीं हैं। यहीं के हैं। वे धान के अखुआं को नुकसान नहीं पहुंचाते। लेकिन, जब पत्तियां निकलने लगती हैं। उसे काटते हैं। जहां ऐसा हो रहा हो।

उन किसानों को Chlorpyriphos 50 EC (क्लोरपायरीफॉस 50% ईसी) 2 ml  1 लिटर पानी में या

Lembda-Cyhalothrin 5 EC ( लैम्ब्डा-साइहलथोरिन 5% ईसी) 1.5 ml / 1 लिटर पानी में घोल बना कर

छिड़काव करना चाहिए। इसकी मात्रा एक लीटर पानी में 2 एमएल की होती है। सप्ताह में एक बार ऐसा किया जाना चाहिए। सिर्फ बिचड़े वाले खेत में ही नहीं। बाहर मेड के अगल-बगल भी ऐसा किया जाना चाहिए। क्योंकि नमी में कीट जिंदा रहते हैं। उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले दफे इन्होंने पकी फसल को भी नुकसान पहुंचाया था। रामकेवल बताते हैं इस वर्ष गर्मी कम पड़ी। इस वजह से ऐसा हुआ। वहीं ग्रामीणों ने बताया पहले पक्षी बहुत होते थे। जो ऐसे कीटों को खा जाते थे। लेकिन, उनकी घटती संख्या भी टिड्डियों के बढऩे का एक कारण है।

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