विश्वामित्र सेना के प्रयास लाए रंग, बक्सर की सनातनी विरासत बनी चर्चा का केंद्र

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धार्मिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की ओर बढ़ता बक्सर, शिक्षा और धार्मिक जागरूकता से धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई जारी                                            बक्सर खबर। बक्सर की प्राचीन सनातनी विरासत अब राजनीतिक गलियारों में सुर्खियां बटोर रही है। महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे ने इसे विश्वामित्र सेना की बड़ी जीत बताया है। वर्षों से वे इस सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं, जिसका असर अब राष्ट्रीय मंचों पर भी दिखने लगा है। राजकुमार चौबे का मानना है कि बक्सर का इतिहास अयोध्या और काशी से भी अधिक प्राचीन है। यही वह भूमि है जहां भगवान श्रीराम ने अपने पारिवारिक गुरु महर्षि विश्वामित्र से शिक्षा प्राप्त की थी। इस ऐतिहासिक पहचान को पुनर्स्थापित करने के लिए चौबे ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय मंचों पर भी बक्सर की महत्ता को जोरदार तरीके से उठाया है।

राजकुमार चौबे और उनकी विश्वामित्र सेना बक्सर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने में जुटी है। अब इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक दलों और बड़े नेताओं की भी रुचि बढ़ रही है। चौबे ने इसे बक्सर की सनातनी पहचान की पुनर्स्थापना की दिशा में एक सकारात्मक संकेत बताया है। विश्वामित्र सेना केवल सांस्कृतिक जागरूकता ही नहीं, बल्कि दलित बस्तियों में मुफ्त शिक्षा अभियान और धार्मिक जागरूकता अभियान भी चला रही है। चौबे के अनुसार, इसका मुख्य उद्देश्य धर्मांतरण जैसी चुनौतियों का सामना करना और समाज में सनातनी मूल्यों को पुनः स्थापित करना है। बक्सर की यह पावन भूमि अब अपनी प्राचीन महिमा को पुनः प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। विश्वामित्र सेना के प्रयासों और जनता के बढ़ते समर्थन से यह तय माना जा रहा है कि बक्सर जल्द ही अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गौरव को पुनः स्थापित करेगा।

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