बक्सर खबर। सदर अस्पताल में प्रसव पी़ड़ा से परेशान महिला को अस्पताल में दाखिल किया गया था। गुरुवार की रात उसने बगैर ऑपरेशन के बच्चा जना। फिर क्या था, अस्पताल के कर्मचारी उसकी तरफ से उदासिन हो गए। बच्चा स्वस्थ्य था लेकिन उसकी मां की हालत खराब हो रही थी। शायद अधिक खून बहने के कारण अथवा किसी और वजह से। उसकी सांसे कमजोर पड़ने लगी और कुछ घंटे बाद उसने दम तोड़ दिया। इस घटना ने उसके परिवार के लोगों को आग बबूला कर दिया। वीना जिसकी उम्र महज 24 वर्ष थी।
वह अपने पहले बच्चे को जन्म देने सदर अस्पताल आई थी। लेकिन उसे क्या पता था। वह अपने बच्चे को भी देख नहीं पाएगी। उसके पति शंकर और परिजनों ने वहां जमकर हंगामा किया। डुमरांव के नंदन से आया उसका परिवार नगर थाना पहुंचा। अपनी शिकायत दर्ज करानी चाही। पुलिस ने कहा आप लोग विचार करके आइए। तब प्राथमिकी दर्ज होगी। दुख का मारा परिवार वीना की लाश लेकर अस्पताल पहुंचा। उसका पोस्टमार्टम हुआ। परिजन इस व्यवस्था को दोष देते गांव लौट गए। पूछने पर उन लोगों ने कहा। सब मिले हुए हैं। कुछ नहीं होने वाला है। ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर आठ बजे चली गई। जबकि बच्चा सात बजे पैदा हुआ। उसके बाद से ही रक्त बहना शुरू हुआ था। उसने समय रहते ध्यान नहीं दिया। यह दर्द है उसके पति शंकर का। अस्पताल का हाल यह है कि जब कोई बच्चा जन्म लेता है। नर्स से लेकर वहां ड्यूटी पर तैनात सभी कर्मी परिवार वालों ने बक्शीश मांगने लगते हैं। जब किसी के साथ कुछ अप्रिय होता है। तो सारे के सारे गद्धे की सींग की तरह गायब होने लगते हैं। लोगों को यह पता लगाना पड़ता है। उस समय ड्यूटी किसकी थी। कहने का सीधा तात्पर्य है। सदर अस्पताल की बदहाली के लिए सिर्फ डाक्टर और प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं कर्मचारी भी बरार के हिस्सेदार हैं।