चार हजार साल से अधिक पुरानी संस्कृति की धरोहर चौसा गढ़ में विरासत बचाओ यात्रा का आयोजन

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चौसा से प्राप्त टेराकोटा मृण्मूर्तियां पूरे संसार के लिए अद्भुत                                                                  बक्सर खबर। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के पुरातत्व निदेशालय द्वारा शुक्रवार को ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल चौसा में विरासत बचाओ यात्रा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व सीताराम उपाध्याय संग्रहालय, बक्सर के प्रभारी डॉ शिव कुमार मिश्र ने किया। इस यात्रा में आदर्श उच्च विद्यालय और मध्य विद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ मिश्र ने कहा कि वैसे शेर शाह सूरी एवं मुगल शासक हुमायूं के मध्य होने वाले युद्ध के चलते चौसागढ़ प्रसिद्ध है लेकिन यहां के पुरातत्विक उत्खननों से जो पुरावशेष मिले हैं उससे ज्ञात होता है कि चार हजार साल से भी अधिक पुरानी यहां की संस्कृति है। जैन धर्म से संबंधित कांस्य प्रतिमाएं यहां से मिली जो अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। उसी तरह विभिन्न देवी देवताओं की प्रस्तर प्रतिमाएं भी करीब डेढ़ हजार वर्ष पुरानी मिली है। इनमें सूर्य, विष्णु, शिव पार्वती, ब्रह्माजी, देवी आदि की मूर्तियां प्रमुख हैं जो सीताराम उपाध्याय संग्रहालय में संगृहीत हैं।

चौसा से प्राप्त टेराकोटा मृण्मूर्तियां पूरे संसार के लिए अद्भुत – डॉ शिव कुमार मिश्र ने बताया कि टेराकोटा मृण्मूर्तियां यहां की सबसे महत्वपूर्ण है जो पूरे संसार के लिए अद्भुत है। टेराकोटा की शिव पार्वती विवाह की मूर्ति दुर्लभ एवं सबसे पुरानी है जो चौसा गढ़ की खुदाई से प्राप्त है। रामायण से संबंधित अनेक टेराकोटा मृण्मूर्तियां यहां से मिली हैं। हनुमान, सुग्रीव एवं विभीषण की एक समन्वित मूर्ति भी मिली है जिसपर अभिलेख भी अंकित है।

पूरे संसार में दुर्लभ और सबसे प्राचीन शिव-पार्वती विवाह की मूर्ति।

संरक्षण का संदेश- डॉ मिश्र ने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि प्राचीन टीलों को बचाने के लिए लोगों को जागरूक करें तथा पूर्वजों से संबंधित सभी वस्तुओं एवं उनके जीवन शैली,रहन सहन आदि को याद करने एवं उन्हें बचाने के लिए अधिक से अधिक लोगों को बताया जाय। पुरास्थलों, नदियों, तालाबों, पर्यटन स्थलों आदि को स्वच्छ एवं सुरक्षित करने की आवश्यकता है।

चौसा से प्राप्त हनुमानजी, सुग्रीव और विभीषण की दुर्लभ मूर्ति।

आदर्श उच्च विद्यालय, चौसा के शिक्षक हेम दास चौधरी, राजीव कुमार, ज्ञान प्रकाश पाण्डेय एवं मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक अखिलेश कुमार सिंह, शिक्षक संजय कुमार तथा संग्रहालय कर्मी अनिकेत कुमार द्वारा प्रतिभागियों को विरासत के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई तथा इसे संरक्षित करने के उपाय भी बताए गए। विरासत बचाओ यात्रा चौसा गढ़ से आरंभ कर पूरे चौसा बाजार में भ्रमण किया गया। इसमें मोहम्मद आशिक, रामरुप ठाकुर,अभिशेष चौबे,कमलदेव राय, उपेंद्र कुमार सहित शताधिक स्कूली बच्चों ने भाग लिया। इस आयोजन से बच्चों एवं शिक्षकों में विशेष उत्साह देखा गया। चौसागढ़ की यह धरोहर न केवल भारतीय इतिहास की गवाही देती है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान को भी प्रकट करती है। इस तरह के आयोजन नई पीढ़ी में इतिहास और धरोहरों के प्रति जागरूकता और सम्मान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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