बक्सर खबर। आज सुबह ही सुबह फोन की घंटी बजी। राम सलाम हुआ और सामने वाले का परिचय पूछा तो आवाज आई बतकुच्चन बोल रहे हैं। वैसे तो हमेशा मैं ही उनको तलाशते हुए जाता हूं। आज अचानक उनका फोन क्यूं आया। यह जानने की जिज्ञासा मन में कौंध गई। मैंने पूछा सब खैरियत है। उन्होंने कहा खैरियत भी है और जोश भी हाई है। गुरु हमका तोसे एगो बात कहे के हौ। मैंने कहा फरमाइए भला। उ बोले तु लोग मीडिया वाला हउअ। तोहे मालूम होई देश से पड़ोसी मुल्क से खतरा हौ। मैंने कहा जी, पता है।
बतकुच्चन गुरू बोले हम तोहे ओ खतरा बदे फोन ना ही किए हैं। ओ से आपन सरकार और सेना निपट ले ही। यहां जौन देश में आस्तीन के सांप हैन। उनहन पर नजर रखे क होई। चौक-चौराहा, स्टेशन, मंदिर, मस्जिद सब जगह ध्यान देवे के जरुरत हौ। सेना त उहां लड़ी। यहां ध्यान हम सब मनई के रखे के होई। कहीं कौनो ससूरा शक-सुबहा वाला दिखे। तुरंत कोतवाली खबर करे के होई। मामला देश का हौ। ए ही बदे तो से बतावत हैं। तू लोग मीडिया वाला हउअ। सबके आगाह कर। इ न देख कि कौन मिला शरीफ हैं न कौन लुच्चा हैन। यहां बात देश के हौ। सब्बे आदमी के धैर्य अउर सावधानी से काम करे के चाही। सड़क पर झंडा ले घूमे से ज्यादा जरुरी हौ, हर गतिविधि पर ध्यान रखें सब। उ सब हमेशा लूका छिपा के घात करे हैं। बात समझ में आई गवा का नाहीं। मैंने कहा जी…जी। फिर क्या था उन्होंने फोन काट दिया। बतकुच्चन गुरु की यह बात मेरे जेहन में दौड़ गई। उनके प्रति मन में सम्मान का दर्जा और बढ़ गया। जो आदमी राष्ट्र के लिए इतना सोचता हो। वही तो सच्चा भारतीय है। (माउथ मीडिया का यह कालम शुक्रवार को प्रकाशित होता है, लेकिन मौजूदा जरुरत को देखते हुए इसे बुधवार को ही प्रकाशित किया जा रहा है) बात सार्थक लगे तो इसकी चर्चा एक-दूसरे से जरुर करें। जय हिंद।