बक्सर खबर। चुनावी बयार का असर दिख रहा है। नेता, जनता और घुमंता सब मजा ले रहे हैं। कोई लंबी फेंक रहा है। कोई उसे लपेट रहा है। बतकुच्चन गुरु भी इस वजह से परेशान हैं। वे मिले तो बुदबुदाते मिले। मुझे लगा कुछ विशेष जरुर है। उनकी तरफ बढ़ा। वे देखते बोले का गुरू। आपो चुनाव लड़ेंगे। मैं हैरान रह गया। पढऩे-पढ़ाने और लिखने वाला आदमी चुनाव क्यूं लड़ेगा? मेरी भंगीमा देख वे बोले। इ बार बक्सर से कौन-कौन लोग चुनाव लड़ेंगे। एकर चर्चा गली – गली हो रही है। हम सुने हैं इ बार भी पुरनका विधायक चुनाव लड़ेगे। पुराने पहलवान हैं, बार-बार लड़े हैं। इस बार कइसे मान जाएंगे। पाटी के फेरा में फंसे हैं। एही ंला खुल के नाही बोल रहे हैं। लेकिन, उनसे बड़ा लड़वइया अभी कवनो दुसर मैदान में ना है। कतने आए और गए पर उ टस से मस ना हुए। इतना कह कर बतकुच्चन गुरु ने दूसरी सांस ली।
मैं तो उनका चेहरा देख रहा था। गजब का बोलते हैं। सांस भी नहीं लेते। मैं सोच ही रहा था फिर रेस हो गए। जाने हो गुरु, पुराना बिधयका संगे नयको को पीकप तेज हो गया है। गांवे-गांवे, बजारे-बजारे घूम रहा है। एतना जोर लगाया है कि लोग हैरान हैं। आपस में पूछ रहे हैं एकर टिकस फाइनल हो गया है का। कोई उसी में कहता है। ना अबही तो इ भी ना पता हौ। कौन पार्टी यहां से आपन पहलवान उतारेगी। जौन हैं उनके खिलाफ भी बोलचन चालू हौ। जो पीछे रह गए थे उहो रेस में हैं। अइसन में कइसन राजनीति होगा। इ सोच के बतकुच्चन गुरू परेशान हैं। यह कहते हुए उन्होंने मुझसे सवाल किया। गुरू तो के का मालूम पड़ता है। का होगा चुनाव में। मैंने कहा गुरू परेशान होने की क्या जरुरत है। पिछली दफा 16 चुनाव लड़े थे। इ बार कुछ ज्यादा लड़ेंगे। वे हंसने लगे। मैं वहां से निकल चला।