बक्सर खबर। लंबे समय बाद मैंने बतकुच्चन गुरू हो हंसते देखा। मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। वे अकेले बैठे थे। कभी मुस्कुरा रहे थे तो कभी-कभी हंसने लगते। मैं उनके पास पहुंचा। मेरी तरफ उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया। कहीं जैसे खोए हुए थे, अपने-आप से बाते कर रहे थे। मैंने आवाज देकर अभिवादन किया। मेरी तरफ देखते हुए बैठने का इशारा करते हुए बोले आव गुरू। काल हौ तोहरे शहर के। मैं कुछ कहता इससे पहले ही वे फिर मुस्कुराते हुए बोले। जानत हउआ हम तीन-चार दिन से सुन-सुन के परेशान हई। सारे कहत हउन ए बार जनता फैसला करी। कौन ईमानदार है कौन बेइमान। पहली बार सुने तो बहुत गंभीरता से न लिए। दूसरे दिन भी कुछ मिला इहे बतिआवत मिले।
एक मिला हमही से पूछा रहा। का चच्चा बताव कौन ईमानदार है। जनता ए बार फैसला करे के मूड में हौ। जब से हम उ सब का बात सूने हैं। हंसी रुक ही ना रही हौ। जवन मिला खुद ही चोर हैं। उ का फैसला करेंगे। नेता -परेता, अफसर के बात कौन कहे। भगवान के नाम पर यहां चोर-मदारी जारी हौ। जेतना मिला के रोड, चौक, चौराहा पर जमीन कब्जा करा के हौ। सब सारे हनुमान जी के झंडा गाड़ के पुजारी बनल हउअन। जौन मिला सारे भगवान के नाम पर ठगी करे हैं। उ ससुर कोई के का इंसाफ करेंगे। वार्ड, सरपंच, मुखिया, प्रमुख, जिला पार्षद कौन ससुर ईमानदार है। अरे मनरेगा के पीआरएस कमा रहा है और सारे उ विभाग के मुखिया ईमानदार हैन। अजब जमाना आ गवा है गुरू। कोई चोर को चोर ना कहे है। सब बेईमान अपने के बचावे बदे कोई ईमानदार नहीं रहा, के डायलाग मारे हैं। तोहार का मशविरा हौ। मैं कुछ कहता इससे पहले वे स्वयं ही बोल पड़े। अरे गुरू चोर बेइमान कहे से अच्छा हौ जेसे देश का भला हौ। उ के चुने के चाही। पढ़ लिख के का होगा जब भले-बुरे की पहचान न हो। उनका जवाब सुन मैंने कुछ कहा नहीं, सर हां में हिलाया। वे बोले हम तोसे इ बात ए बदे कह रहे हैं कि तु इ पचड़े में ना पड़ौ। अप्पन काम ईमानदारी से करो। जौन चोर है उ सब भी ईमानदार आदमी के इज्जत करे हैं। आज बेइमान ज्यादे हैं पर एक ईमानदार सौ पर भारी है। मुझे उनकी बात अच्छी लगी। मैंने उनसे इजाजत ली और अपने रास्ते लौट आया। (माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। आप हमें अपने सुझाव अथवा हमारी कमियों को बताने के लिए मेल कर सकते हैं। ) buxarkhabar@gmail.com