पुतला फूंके से टिकट मिलता है, धत्त बुरबक
बक्सर खबर। चुनावी मौसम में हर दल के पास उम्मीदवारों की लंबी फौज है। कुछ का नाम पार्टी की लिस्ट में शामिल है। कुछ ऐसे हैं जो बेवजह थेथर लाजी बतियां रहे हैं। आजू-बाजू वालों को पैसा चटा रहे हैं। मीडिया में खबर छपवा रहे हैं। ऐसा करे से टिकट मिलता है। यह बातें बतकुच्चन गुरू कह रहे थे। उनके आस-पास चार-पांच लोग खड़े थे। मैंने सूना तो वहां जाकर खड़ा हो गया। चुनावी चर्चा सुनने लगा। लोग क्या-क्या कह और सुन रहे हैं। यह जानने की जिज्ञासा मेरे मन भी हुई। बात उम्मीदवारों से हट कर चुनावी मुद्दे पर केन्द्रीत हो गई। बतकुच्चन गुरू कह रहे थे।
देश में चुनाव विकास और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर होना चाहिए। लेकिन, ससुर बिहार में तो जाति पर चुनाव लड़ता है। सब पार्टी वाला समीकरण देखता है। उसी हिसाब से टिकट देता है। लेकिन, इस बार का चुनाव तो विकास नहीं व्यक्ति के नाम पर लड़ा जा रहा है। एक तरफ एक व्यक्ति है दूसरी तरफ पूरा विपक्ष। विपक्ष के पास मुद्दे नाम मात्र के हैं। इस लिए लोगों को डराया जा रहा है। बताया जा रहा है बहुत बड़ा खतरा है। कोई आरक्षण को अलाप रहा है। कोई जेल का भय दिखा रहा है। कुछ मिला तो ऐसे हैं जौ यहां तक बोल रहे हैं कि देश का संविधान ही खतरे में है। भयाक्रांत करने की यह राजनीति देश में भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है। इन वजहों से चुनाव व्यक्ति पर केन्द्रित होता जा रहा है। वैसे फैसला जनता के हाथ है।
लेकिन, सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों इस मौके को भुना रहे हैं। इस वजह से इस बार का लोकसभा चुनाव बहुत ही रोचक हो गया है। जाति की राजनीतिक करने वालों ने तो पूरे देश को खंड-खंड में बांट दिया है। यह समाज के लिए बहुत ही खतरनाक है। इससे सबको परहेज करना चाहिए। जो लोग समझदार हैं। उन्हें ऐसी अफवाहों को फैलाने से परहेज करना चाहिए। क्योंकि मजबूत समाज ही सशक्त राष्ट्र की रीढ़ है। इतना तो सबको समझना ही होगा। बतकुच्चन गुरू की यह बातें मुझे अच्छी लगी। मैं उन्हें अपने जेहन में दुहराता हुआ वापस लौट आया। (नोट- माउथ मीडिया का यह व्यंग कालम प्रत्येक शुक्रवार को बक्सर खबर द्वारा प्रकाशित किया जाता है। जिसके काल्पनिक पात्र बतकुच्चन गुरू हैं। इसमें ऐसी बातों को शामिल किया जाता है। जो आम लोगों द्वारा कही और सूनी जाती हैं)