बक्सर खबर। क्या आप जानते हैं। बक्सर जिले में एक गांव है। जिसका नाम भोजपुर है। इसका स्वयं का इतिहास इतना गौरव शाली है। जिस पर आपको गर्व होना चाहिए। इसकी वजह से ही भोजपुर जिला बना। जब उसे भोजपुर-शाहाबाद कहा जाता था। आज भी आरा जिले का दस्तावेजी नाम आरा नहीं जिला भोजपुर ही है। इस बात को प्रमाणित करता है यहां स्थित नवरत्न गढ़ का किला। डुमरांव स्टेशन से लगभग तीन किलो मीटर दूर। जिला मुख्यालय बक्सर से 16 किलोमीटर दूर।
इस किले के आस-पास तीन-चार सदियों में नया गांव बस गया है। जिसका नाम नया भोजपुर रखा गया है। इतिहास के पन्नों से ज्ञात होता है। 1633 में राजा रुद्र प्रताप नारायण सिंह ने इसका निर्माण कराया था। अकबराबाद किला को बनाने वाले ने ही नवरत्न किला को बनाया था। इसके बारे में प्रसिद्ध है कि किला के अंदर 52 गलियां और 56 बराज था। इसका दुर्भाग्य रहा कि इस पर मुगल शासक की नजर पड़ गई। महज तीन साल के अन्दर बिहार का मुगल सुबेदार अब्दुल्ला खां ने इसे ध्वस्त करा दिया।
बाद में मुगल शासन काल के सईद खान का पुत्र बैमतखान शाही अमलदार के रुप में भोजपुर आया। नवरत्न किला की मिट्टी और पत्थर से किला के पश्चिम एकरोजाएरिजवान बनवाया। उसने ही भोजपुर का नाम शाहाबाद रखा। 1764 के बाद अग्रेजी हुकूमत ने इस इलाके पर कब्जा किया तो उसी नाम के आधार पर शाहाबाद जिला बना। जिसके आज चार हिस्से हैं। आरा, बक्सर, सासाराम और भभुआ। शाहाबाद जब विभाजित हुआ। उससे पहले तक शाहाबाद -भोजपुर और अब भोजपुर जिला आरा के नाम से जाना जाता है। यह है बक्सर का गौरवशाली इतिहास।
हाल ही में मिले के कुछ और अवशेष
बक्सर खबर। इस किले का इतिहास चार सौ वर्ष पुराना है। यह तो आप भी जान गए होंगे। तीन वर्ष पहले इसके अवशेष गांव में भी मिले। गांव धीरे-धीरे फैलता गया। किले को अपनी जद में लेता गया। नया भोजपुर गांव के विद्यालय भी इसकी जमीन पर ही बने हैं। तीन वर्ष पहले जब विद्यालय के लिए अतिरिक्त भवन बनाने के लिए नीव खोदने का काम हो रहा था। उस समय नीचे इमारत होने की बात सामने आई। खुदाई में एक कमरा मिला। पूरी तरह मिट्टी के नीचे दफन था। उसमें दरवाजे भी था। जिसकी साकल कुछ लोग काट ले भागे। जब उनके पता चला वह लोहे की है तो फिर फेंक गए। पुलिस ने उसे बरामद कर लिया। तत्कालीन डीएम रमण कुमार ने उस क्षेत्र को सुरक्षित इलाका घोषित कर दिया। विद्यालय भी वहां से हटा दिया गया।
नवरत्न गढ़ किले का अवशेष