बक्सर खबर। अस्पताल लोग इस लिए जाते हैं। ताकि उन्हें कष्ट से निजात मिले। यही नहीं बदहाली के इस दौर में सरकारी अस्पताल वही जाता है। जो या तो अपने सिस्टम में विश्वास करता है। अथवा वह आर्थिक रुप से कमजोर होता है। बावजूद इसके ऐसी घटनाएं हो रही हैं। जिससे लोगों का विश्वास सरकारी तंत्र से टूटता जा रहा है। शनिवार को डुमरांव अस्पताल में ऐसा ही अनिषा खातुन के साथ हुआ। नया भोजपुर की महिला ने दोपहर में बच्चे को जन्म दिया। वह शारीरिक रुप से कमजोर था।
चिकित्सकों ने उसे चाइल्ड केयर यूनिट की मशीन में रखा। लेकिन आधे घंटे बाद ही बच्चा परिजनों को स्वस्थ बताकर सौंप दिया गया। लेकिन आधे घंटे बाद ही नवजात की मौत हो गई। परिजन इस घटना से आहत हुए और जमकर बवाल किया। बाद में प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। मौके पर मिले डाक्टर आलोक ने कहा मेरी ड्यूटी दो बजे से थी। मुझे पता नहीं क्या हुआ। उस समय डा. प्रेमा की ड्यूटी थी। महिला चिकित्सक ने पूछने पर कुछ नहीं कहा। अलबत्ता मौजूद नर्स ने बचाव करते हुए कहा अनिषा खातुन का बच्चा जन्मा तो उसका प्लेसेन्टा सड़ा हुआ था। शायद इस वजह से बच्चे की मौत हुई है।
उजागर हुई लापरवाही
बक्सर खबर। प्रसव के दौरान जब बच्चे अस्वस्थ पैदा होते हैं। उन्हें मशीन में रखा जाता है। डुमरांव में ऐसी तीन मशीने उपलब्ध हैं। लेकिन उनमें दो उपयोग नहीं हो रहा। एक किसी दूसरे काम में है। तीसरी को चालू ही नहीं किया गया। एक मशीन से ही जैसे तैसे काम होता है। शनिवार को भी ऐसा ही हुआ। अनिषा के बच्चे को अभी आधे घंटे ही उस मशीन में रखा गया था। तभी दूसरा बच्चा पैदा हुआ। उसकी हालत भी ठीक नहीं थी। ऐसी स्थिति में उस बच्चे को इकलौती मशीन में रखा गया। पहले वाले बच्चे को निकाल दिया गया। नतीजा उसकी मौत आधे घंटे बाद हो गई।
एक माह में पांच जच्चा-बच्चा की मौत
बक्सर खबर। डुमरांव अस्पताल के आंकड़े सबके परेशान करने वाले हैं। सूत्रों की माने तो पिछले एक सप्ताह के अंदर तीन नवजात की मौत यहां हो चुकी है। अगर एक माह के आंकड़ों पर नजर डाले तो चार बच्चों समेत एक प्रसुता की मौत भी हो चुकी है। महरौरा की रहने वाली अनिता देवी के बच्चे की मौत हुई। 18 दिसम्बर को सुनीता देवी के बच्चे की मौत हुई। इससे पहले नियाजीपुर से प्रसव के लिए गई सीता देवी और उसके नवजात बच्चे की मौत भी इस अस्पताल में हुई। आज शनिवार को अनिषा खातुन के बच्चे की जान चली गई। इस लिए स्वास्थ्य विभाग को अपनी कार्य प्रणाली पर ध्यान देना होगा। अन्यथा अस्पताल तो बदनाम होगा ही चिकित्सकों की लापरवाही बड़ी घटना का कारण बन सकती है।