बक्सर खबर (माउथ मीडिया) । दिन के साढ़े ग्यारह बज रहे थे। मैं घर की तरफ लौट रहा था। शहर में प्रवेश करते ही बतकुच्चन गुरु से बीच सड़क पर मुलाकात हो गई। भरी दोपहरी में तवे के समान जल रहे थे। इस बात का एहसास तब हुआ जब मुझे देखते ही भड़क उठे। देखते हो गुरू शहर का दुर्गति हो गवा है। धूपे में बच्चा सब परेशान है। स्टेशन से लेकर शमशान तक सब जाम है। इ हाल सुबह से हौ। तु लोगन का कवनो मतलब न है इस शहर से। नरक बना के छोड़ दिए हो। मैंने हिम्मत जुटा कर कहा, इसके लिए हम लोग जिम्मेवार नहीं है।
यह सुनते ही उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। कहने लगे कौन जिम्मेवार है। यहां वेतन लेके कुर्सी तोड़े वालन को जिम्मेवार समझो हो का। जाओ शहर का एक चक्कर लगा के आओ। तो के पता चल जावेगा। का हाल है, फिर हमका बताओं कौन जिम्मेवार है। ससुर सत्यानाश हो रहा है। कवनो इंतजाम ना है। सबसे ज्यादा जाम ओही थानवे के लगी लगा है। जहां बोतल टाइप सब 70-80 हजार गिने वाला बइठा है। ओ से ज्यादा लेबे वाला और अंदर जाके बइठा है। कौन बताएगा उ सब के काम। कवनो चाय के नाम पर चौपाल लगा रहा है। सेवा के नाम पर ससुरा हवा बनाता है सब। जनता के सेवा के नाम पर फीता काट रहा है। अरे फीता काट रहा है चानी काट रहा है। का समझता है, दूसरे के न बुझाता है।
बड़का त बड़का एगो दूगो जौन मिला छोटका नेता बनता है। उ सब सरवा सड़क किनारे दोकान खोलवाता है। वोट के चक्कर में शहर के सड़कन के छोट कर दिया है। जइसे अतिक्रमण के नाम पर प्रशासन डंडा उठाता है, सब मिल के कावं-कावं शुरू कर देता है। हम बता देते हैं, एही हाल रहा तो कवनो नहीं आएगा ए शहर में। सब दुकान वाला बइठ के ठंठन बजाएगा। सब नकारा एही शहर में भर गया है। यह कहते हुए बतकुच्चन गुरू वहां से चलते बने। मेरी तरफ पलट कर देखा भी नहीं। शायद लोगों को जाम की वजह से हो रही तकलीफ के लिए वे मुझे भी जिम्मेवार मान रहे थे।
(नोटे- माउथ मीडिया बक्सर खबर का व्यंग कालम है। यह प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप अपने सुझा हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं अथवा अपनी खीझ भी निकाल सकते हैं।)
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