बक्सर खबर : हर कोई चाहता है। पत्रकार निष्पक्ष हो कर खबर छापे। लेकिन जब ऐसी खबरें छपती हैं तो कुछ लोग पत्रकार के दुश्मन हो जाते हैं। ऐसा उस हर पत्रकार के साथ होता है। जो सिस्टम के खिलाफ जाने की हिम्मत करता है। ऐसा मेरे साथ भी हुआ। शिक्षक बाहाली में ब्रह्मपुर प्रखंड कार्यालय ने जबरदस्त धांधली की। इसकी खबर छापनी शुरू हुई तो बीडीओ ने मुझे ही निशाना बना लिया। इस तरह परेशान करने लगे जैसे पत्रकार उनका दुश्मन हों। ऐसा ही पुलिस के साथ भी होता है। सभी लोग नाराज हो हमें परेशान करने लगते हैं। यह अनुभव है पत्रकार दिनेश ठाकुर का। जो दैनिक जागरण ब्रह्मपुर के लिए कार्य करते हैं। वे कहते हैं पत्रकार का जीवन हमेशा संघर्ष से गुजरता है। इस लिए संतुलन बनाकर चलना होता है। प्रस्तुत है उनके शब्दों में अनुभव।
अनुभव व पत्रकारिता जीवन
बक्सर : दिनेश बताते हैं। पत्रकारिता के दौरान मैंने एक खबर लिखी थी। जो जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में छपी। शीर्षक था पड़ोसियों से हुई सुलह तो अपनो में घमासान। ब्रह्मपुर के दियरा में 513 एकड़ ऐसी जमीन है। जिसके लिए हमेशा खूनी संघर्ष होता रहता था। उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों में दसकों गोली चली। कई जाने गई। जब विवाद थमा तो उसी जमीन के लिए बिहार के किसान आपस में लड़ने लगे। खबर छपने पर प्रशासन ने उस भू खंड पर निषेधाग्या लागू कर दी। आज विवाद थम गया है। दिनेश वर्ष 2008 में जागरण से जुड़े। ब्रह्मपुर प्रखंड से लिखना प्रारंभ किया। तब से लेकर आज तक जागरण की सेवा कर रहे हैं। पत्रकारिता के दौरान उन्होंने नौकरी का प्रयास भी किया। वर्ष 2008 में दरोगा बाहली की परीक्षा में चयनित हुए। लेकिन सरकार ने उस बहाली पर रोक लगा दी। जिसका केस अभी भी चल रहा है। दिनेश को उम्मीद है। उन्हें इंसाफ जरुर मिलेगा।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : दिनेश ठाकुर का जन्म 5 दिसम्बर 1981 को हुआ था। उनके पिता श्याम बिहारी ठाकुर रेलवे के कर्मचारी थे। अब सेवा निवृत हैं। उनके ज्येष्ठ पुत्र दिनेश हैं। परिवार में उनके अलवा एक भाई और तीन बहने हैं। वर्ष 1998 में मैट्रिक परीक्षा पास की। 2004 में डीके कालेज से स्नातक किया। अब महाराजा कालेज से एमए कर रहे हैं। उनकी शादी वर्ष 2008 में हुई। वे अब एक पुत्र व पुत्री के पिता हैं। इनका गांव ब्रह्मपुर प्रखंड के अंतर्गत आता है। जिसका नाम गायघाट है।