-क्या हत्या नहीं मां की ममता को मारना
बक्सर खबर। कहते हैं हत्या से भी बड़ा अफराध है। मां के नवजात बच्चे को मारना। लेकिन, ऐसी घटनाए रोज ही अस्पतालों में होती है। 22 जनवरी की तड़के सदर अस्पताल में ऐसा ही हुआ। प्रसव पीड़िता निशू को उसकी ससुराल वाले सुबह पांच बजे लेकर अस्पताल पहुंचे। लेकिन, ड्यूटी पर तैनात महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने उसे सिर्फ इस लिए लटकाए रखा कि सात बजे के बाद शिफ्ट चेंज होनी थी।
मौजूद कर्मियों ने उसकी अनदेखी की और अगली शिफ्ट का इंतजार करने को कहा। कहते हैं न जब किसी को नौकरी मिल जाए तो उसकी फुटानी देखने लायक होती है। कुछ ऐसा ही हो रहा था उस महिला के परिजनों के साथ। अगली ड्यूटी वाले समय से कुछ लेट आए। महिला को नौ बजे बेड़ पर ले जाया गया। इतने में पेट में फंसा मासूम नवजात गुजर गया। एक मां की कोख सुनी हो गई। खुद को बचाने के लिए उन कर्मियों ने पर्चे पर सुबह साढ़े नौ बजे का समय लिख दिया।
आक्रोशित परिवार वालों ने अस्पताल के उपाधीक्षक का इंतजार किया। साढे नौ बजे के बाद जब डाक्टर भुपेन्द्र पहुंचे तो उन्होंने कहा ऐसा हो जाता है। शहर के आई टी आई के समीप वनसप्ती नगर में रहने वाली निशू के परिजनों ने इसकी लिखित शिकायत अनुमंडलीय अस्पताल में दी है। क्योंकि उनकी आखों के सामने ही एक मासूम की हत्या सरकारी तंत्र ने सदर अस्पताल में की है। रही बात आवेदन पर जांच की तो वह उपर वाला ही जाने। वह बहरा है सुनने की ताकत रखता है।