निर्दोष को सताना, दोषियों को बचाना, क्या यही है पुलिस की पहचान ?

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बक्सर खबर : दो वर्ष पहले एक डीएवी का होनहार छात्र ओंकार बैसाखी पर आ गया। पैर में चोट आई तो घर वाले बेहतर उपचार के लिए बनारस गए। लेकिन वहां के निजी अस्पताल ने हमेशा के लिए विकलांग बना दिया। उसके खिलाफ ओंकार और उसके परिजनों ने आवाज उठाई। मुकदमा भी हुआ। लेकिन पुलिस ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की। ओंकार और उसके भाई बार-बार पुलिस से मिले। लेकिन नतीजा कुछ हाथ नहीं लगा। पिछले पुलिस कप्तान उपेन्द्र कुमार शर्मा ने मुकदमा संख्या 17/16 में गिरफ्तारी का आदेश दिया था। लेकिन पूरा मामला अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ा है।

अब की पुलिस इसकी याद दिलाने डांट पिलाती है। जिससे तंग आकर सोमवार को सामाजिक लोगों एवं युवाओं ने पुलिस चौकी पर धरना दिया। पीडि़त युवक के भाई अमर तिवारी ने बताया। हमारे पास एंबुलेंस चालक और मैक्सवेल अस्पताल के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। लेकिन पुलिस हमारी मदद नहीं कर रही। हम चाहते हैं एक युवक जिसका जीवन निजी अस्पताल वालों ने बर्बाद कर दिया। उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो। जिससे किसी और का जीवन बर्बाद नहीं हो।

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मरीजों को गलत जगह पहुंचाने वाले एंबुलेंस वाले भी जान लें। किसी को गलत जगह लेकर जाना। कितना खतरनाक हो सकता है। इस विषय को लेकर इंसाफ मांग रहे युवाओं के समर्थन में कई संगठनों के लोग आगेआए। युवा नेता रामजी सिंह ने अपने संबोधन में कहा। निदोर्ष लोगों को परेशान करने और दोषियों को बचाने का काम पुलिस कब बंद करेगी। आज इसी लिए पुलिस की साख पर हमेशा दाग लगते हैं। वहीं दूसरी तरफ अपना पैर गवां चुके ओंकार ने कहा क्या मुझे अपने ही देश में इंसाफ के लिए दरवाजे-दरवाजे ठोकर खानी होगी।

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