बक्सर खबर। आज मैं जब बतकुच्चन गुरु से मिलने पहुंचा तो उनका बदला अंदाज देखकर दंग रह गया। पूरे के पूरे महात्मा लग रहे थे। उनका यह बदला रुप देखकर मैं हैरान था। लेकिन पूछने का साहस नहीं हुआ। दुआ-सलाम के बाद बात शुरू हुई तो उन्होंने प्रवचन देना शुरू किया। जीवन में कुछ ना है गुरु। मनई का मनई के इज्जत करेका चाही। आज जौन कुछ हो रहा है। ई सब बिगड़ते माहौल और संस्कार में आ रही गिरावट की देन है। हम सुने रहे जीयर स्वामी का चातुर्मास शुरू हुआ रहा अपने जिले में। उहां गए तो उपदेश सुने। कलयुग का प्रभाव है, भागवत की कथा उके प्रभाव से मनई को बचावे है। हम सोच लिए हैं सब काम धरम से करेंगे।
जीयर स्वामी बोल रहे थे, कलयुग में धरम भी होगा, करम भी होगा। लेकिन, लोगों के अंदर से धीरे-धीरे शर्म खत्म हो जाएगी। उ का कहते हैं हम लोगन की भाषा में लोक-लाज, हया सब धीरे-धीरे खतम हो रही है। अब देखा इस शहर में सोलर घोटाला का नया मामला उजागर हुआ रहा। लेकिन बेशर्म लोग ओमन सफाई दे रहल हउअन। कायदे के बात ई हौ कि ओम्मन जौन राशि नाजायज हो। उ भुगतान न होवे चाही। पिछले साल भी किताब घोटला की बात सामने आई रही। सांसद के निधि से स्कूल-कालेज में लाखों-लाख रुपये किताब के नाम पर गोलमाल हुआ रहा। लेकिन, मीडिया में वह खबर सही तरीके से नहीं आई। सब खा-पका गए चोरवन सब। मेरी तरफ मुखातिब होते हुए बतकुच्चन गुरू बोले तू बताओ गुरू। भागवत की बात तो सोलह आने सही है कि नहीं। लेकिन जे मनई के कुर्सी मिल जाए। उ सरुउ बौरा जात हैन। ई बीमारी सिर्फ नेतवन के लगी है ऐसा ना हौ। अब देखा एक दिन पहिले रामखेलावन मिलल रहें। उ बता रहे थे, पिछला तीन माह से थाना का चक्कर काट रहे हैं। दरोगा है कि सुनता ही नहीं। जब मिलता है अगले दिन आवे को कहता है। वहां पहुंचते हैं तो ससुर चार घंटा तक अपने डेरा से बहरे नहीं आवा। जब हम आपन परेशानी वहां मिले दूसरे लोगन से बताए। उ सब बोला काहे परेशान हो रहे हैं। इ दरोगा आप जात वाला के बात सुनता है। कवनों एक जात के आदमी को पकड़ लाइए। तब जाकर काम होगा, कुछ दक्षिणा भी लगेगी। इतना बोल बतकुच्चन गुरु लाल हो गए। लेकिन चुप नहीं हुए। अब बताओ गुरु पढ़ लिख के भी कवनों ऐसा करे तो व ससुर कानून के हत्यारा है की नहीं। देश का प्रधानमंत्री चिल्ला रहा है। मंत्री आ नेता सब अप्पन आदत से बाज नहीं आ रहा है। यहीं हाल नीचे तक है। एसपी चिल्ला रहा है पर दरोगा लूट रहा है। इस सब के आंख के पानी सूख गया है। लोग कहते हैं तो कहते रहें। इस सब को लाज-शरम तो है नहीं। इतना सुन मैंने उनसे इजाजत मांगी। गांव जाना है गुरु। यह सुन उन्होंने इशारे में अनुमति दी और मैं वहां से अपने गांव लौट आया। लेकिन उनकी बातें परेशान कर रहीं है। क्या सच में लोंगों की आंख का पानी सूखता जा रहा है?