‌‌‌फांसी की सजा से बच गया कुख्यात शेरू

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बक्सर खबर। कानून सबको अधिकार देता है। चाहे वह अपराधी ही क्यूं न हो। चूना व्यवसायी राजेन्द्र केशरी की हत्या के दोषी ओंकार नाथ उर्फ शेरू सिंह की सजा उच्च न्यायालय ने कम कर दी है। उसे फांसी नहीं दी जाएगी। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल समेत दो जजों की बेंच ने फांसी के लिए पर्याप्त कारण नहीं माना। साथ ही याचिकाकर्ता की अपील को ध्यान में रखते हुए उम्र की जांच का निर्देश दिया है। शेरू के अधिवक्ता का पक्ष था कि घटना के समय वह नाबालिग था। जानकारों के अनुसार राजेन्द्र केशरी की हत्या 21 अगस्त 2011 को हुई थी। पुलिस ने आरोपियों को मशक्कत के बाद उन्हें गिरफ्तार किया।

सुनवाई शुरू हुई। इसी क्रम में 17 दिसम्बर 2012 को शेरू न्यायालय से फरार हो गया। उसके साथी द्वारा चलायी गई गोली से एक सिपाही भी घायल हुआ था। कुछ माह बाद शेरू फिर पकड़ा गया। न्यायालय उसके खिलाफ इस घटना को लेकर सख्त था। 12 को दोष सिद्ध हुआ और 16 मई 2016 को तत्कालीन जिला व सत्र न्यायाधीश प्रदीप मल्लीक ने उसे फांसी की सजा सुनायी। इससे पहले अन्य तीन लोगों को इस मामले में सजा हो चुकी थी। जिसमें चंदन मिश्रा और शेरू के चाचा का नाम था। एक बार फिर यह मामला चर्चा में आ गया है। अधिवक्ता अरुण सिंह के अनुसार। बक्सर व्यवहार न्यायालय में इस मामले की सुनवाई होगी।

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