लोकगायकी में विशेष योगदान के लिए मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन द्वारा मिला सम्मान बक्सर खबर। बिहार दिवस के अवसर पर स्थानीय चीनी मिल स्थित साबित खिदमत हॉस्पिटल परिसर में मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन द्वारा प्रसिद्ध लोकगायक बूढ़ा व्यास को उनकी गायकी और रचनाओं के लिए सम्मानित किया गया। बिहार प्रांत के सचिव डॉ दिलशाद आलम ने कहा कि बूढ़ा व्यास भोजपुरी के विभिन्न पारंपरिक गीतों में महारत रखते हैं, जिनमें निर्गुण, चैता, धार्मिक लोकगीत प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि बूढ़ा व्यास की गायकी में भोजपुरी की गहरी पकड़ और मर्यादा का समावेश है, जो आज के समय में दुर्लभ हो गया है। बूढ़ा व्यास का नाम चैता गायन में विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। चौसा से लेकर संपूर्ण बिहार और उत्तर प्रदेश के कोने-कोने तक उनके चैता गायन की लोकप्रियता बनी हुई है।
उनके साथ अन्य व्यासों को भी संगठन के सदस्यों ने खूब सराहा। जब ढोलक और नाल की पारंपरिक धुन पर लोकगीत गूंजते हैं, तो पूरा माहौल मंत्रमुग्ध हो जाता है। बूढ़ा व्यास ने सम्मान प्राप्त कर गौरव और प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन को इस सम्मान के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि बिहार दिवस पर सम्मान मिलना उनके लिए गर्व की बात है।बूढ़ा व्यास न केवल गायकी बल्कि साक्षरता मिशन 2002 में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं। उनके योगदान के लिए उन्हें तत्कालीन डीएम संदीप पौंड्रिक द्वारा भी सम्मानित किया गया था। इस अवसर पर डॉ दिलशाद आलम ने बक्सर को पर्यटन स्थल घोषित करने के लिए सरकार से मांग किया। मौके पर इम्तियाज अंसारी, शशि भूषण, सुनील कुमार, रुखसाना, साबित रोहतासवी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।