कलम के सिपाही पर मुकदमें से हमला : संजय उपाध्याय

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बक्सर खबर : आप भले ही सच का साथ देने के लिए खड़े हों। जन मानस के लिए सिस्टम के खिलाफ खड़ा होना आज भी अपराध है। यह अनुभव है पत्रकार संजय उपाध्याय का। इलेक्ट्रानिक मीडिया का पत्रकार होने की वजह से हर जगह पहुंचने का उनका जुनून उस वक्त ठंडा हो गया। जब गरीब महिलाओं के लिए वे बीडीओ के कार्यालय पहुंचे। बौखलाए अधिकारी ने उन्हीं को अपना निशाना बना लिया। अब संजय कहते हैं आप जन सरोकार की खबरों को प्रमुखता देते हैं तो सिस्टम ही आपका दुश्मन हो जाता है।

इस लिए पत्रकारिता स्वतंत्र है का ख्याल पत्रकार अपने मन से निकाल दें। संजय का अनुभव बहुत लंबा नहीं। लेकिन कड़वा जरुर है। जी हां इस सप्ताह हमारे साथ हैं पत्रकार संजय उपाध्याय। जो मूल रुप से जिले के केसठ गांव निवासी हैं। न्यूज इंडिया और एबीपी न्यूज के लिए बतौर जिला संवाददाता कार्य करते हैं। प्रस्तुत है उनका संक्षिप्त परिचय।
पत्रकारिता जीवन
बक्सर : संजय बताते हैं। वर्ष 2014 में इलेक्ट्रानिक मीडिया का संवाददाता बना। इससे पहले भी खबरें लिखने और भेजने का सिलसिला चलता रहा था। लेकिन जिले की मुख्य धारा से जुडऩे का मौका पांच वर्ष पहले मिला। मैं हमेशा से सोचता था। आम जन की समस्या और शिक्षा में सुधार के लिए हमें काम करना चाहिए। उसी को ध्यान में रखकर इस क्षेत्र को चूना। हमारा शौक धन कमाना नहीं। अपने जिले और प्रखंड के लिए कुछ करना है। इसी इच्छा है पत्रकारिता का दामन चमकता रहे।

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व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : संजय उपाध्याय का जन्म 9 अगस्त 1977 को हुआ था। वे डा. जयनाथ उपाध्याय की तीसरे पुत्र हैं। सबसे छोटा होने के कारण उन्हें सभी ने बहुत प्यार दिया। राघुनाथपुर से हाई स्कूल व बीएन कालेज पटना से स्नातक की डिग्री ली है। जीवन के इस सफर में वर्ष 2006 में शादी भी हो गई। अब दो बच्चों के पिता हैं। लेकिन इस बीच उनके पिता जी साथ छोड़कर चले गए। अब उनके उपर परिवार की जिम्मेवारियां आ पड़ी हैं। जिसके कारण उनके पैर भी जकड़े चले जा रहे हैं।

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