बक्सर खबर : पत्रकार कलम चलाते हैं। वे हर बुराई और समस्या के खिलाफ आवाज बुलंद करते हैं। वे समाज में सम्मान चाहते हैं। रुपये की चाह के लिए हर कोई पत्रकारिता नहीं करता। यह बातें पत्रकार दिनेश ओझा ने कहीं। रविवार को अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के लिए बक्सर खबर ने उनसे संपर्क किया। ओझा बताते हैं यह ऐसी विधा है। जो इससे जुड जाता है। अपने आप को अलग नहीं कर पाता। पत्रकारिता करने वाले सम्मान चाहते हैं। वे रुपये के लिए काम नहीं करते। कई बार देखा गया है। आर्थिक तंगी के कारण लोग गांव शहर छोडकर जाते हैं। लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था से लडने का जुनून उन्हें वापस खींच लाता है। दिनेश ओझा से हमने लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है उसके मुख्य अंश।
पत्रकारिता का सफर
बक्सर : दिनेश ओझा बताते हैं। वर्ष 2000 में मैंने हिन्दुस्तान अखबार के लिए काम करना शुरु किया था। पटना में गिरीश मिश्रा संपादक थे। तीन-चार वर्ष तक मैंने काम किया। इसके बाद मैं नौकरी की तलाश में दिल्ली चला गया। वहां जाकर गोवद्र्धन संस्थान में काम किया। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखता रहा। वहां जी नहीं लगा तो वापस ब्रह्मपुर लौट आया। यहां निजी नन बैंकिंग में बतौर मैनेजर कार्य किया। लेकिन वह कंपनी भी बंद हो गई। एक लंबे अंतराल के बाद दिनेश ओझा फिर पत्रकारिता में सक्रिय हुए हैं। फिलहाल प्रभात खबर के लिए ब्रह्मपुर से संवाद लेखन का कार्य कर रहे हैं। वे बताते हैं ब्रह्मपुर के वरिष्ठ पत्रकार जयमंगल पांडेय, कुंदन ओझा ने उन्हें हमेशा सही राह दिखाई। शशांक उनके साथ डीके कालेज में पढते थे। पत्रकारिता जीवन में उन्होंने बहुत सहयोग किया।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : दिनेश ओझा ब्रह्मपुर प्रखंड के निमेज गांव के रहने वाले हैं। 2 जनवरी 1970 को इनका जन्म हुआ। परिवार खुशहाल है। पत्नी सरकारी नौकरी मे है। इस लिए वे तनाव से बाहर हैं। बच्चे बडे हो रहे हैं। मां-पिता के आर्शीवाद से पूरा परिवार संस्कारों के साथ पलबढ रहा है।