सिद्धाश्रम में विराजे विश्वामित्र मुनी, प्रतिमा का अनावरण

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बिहार के विकास में बक्सर का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण : प्रो. डॉ शैलेन्द्र                                           बक्सर खबर। बुधवार को महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि अर्थात बक्सर स्थित महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय परिसर में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम के अंतर्गत महर्षि विश्वामित्र महामुनि की प्रतिमा का अनावरण हुआ। इस अवसर पर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ शैलेन्द्र कुमार चतुर्वेदी ने प्रतिमा का अनावरण किया। कार्यक्रम में कुलसचिव प्रो. डॉ रणविजय कुमार, डुमरांव राज के महाराज बहादुर चन्द्र विजय सिंह एवं प्रधानाचार्य प्रो. डॉ सुबाष चन्द्र पाठक की गरिमामयी उपस्थिति रही। अपने संबोधन में कुलपति प्रो. डॉ शैलेन्द्र कुमार चतुर्वेदी ने बक्सर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “बिहार के विकास में बक्सर का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें इसकी गरिमा और योगदान को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।”

कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक परंपराओं के अनुसार दीप प्रज्ज्वलन, शंखनाद और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुई। प्रधानाचार्य प्रो. डॉ सुबाष चन्द्र पाठक ने स्वागत भाषण में अतिथियों का अभिनंदन करते हुए महाविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।कुलसचिव प्रो. डॉ रणविजय कुमार ने महर्षि विश्वामित्र की जीवनी और उनके योगदान पर प्रकाश डालते हुए बक्सर को मनीषियों और अध्यात्म की भूमि बताया। उन्होंने सभी को इस गरिमा को बनाए रखने का आह्वान किया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानाचार्य ने महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्यों, सेवानिवृत्त शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों और विशिष्ट अतिथियों को अंगवस्त्र एवं मोमेंटो भेंटकर सम्मानित किया।

एमवी कॉलेज में महर्षि विश्वामित्र की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में शामिल कुलपति प्रो डॉ शैलेन्द्र व अन्य।

कार्यक्रम में सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, सिनेट सदस्य संतोष तिवारी, डॉ नवीन शंकर पाठक, डॉ प्रियरंजन, डॉ पंकज कुमार चौधरी, डॉ विरेन्द्र कुमार, डॉ अनुराग कुमार सहित शहर के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन रसायन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ भरत कुमार ने किया। लेखापाल चिन्मय प्रकाश झा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी आगत अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के समापन पर विश्व कल्याण और सद्भावना का संदेश दिया गया। यह कार्यक्रम बक्सर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित रखने के लिए एक प्रेरणादायक पहल के रूप में याद किया जाएगा।

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