-हालात मजबूर कर रहे हैं सवाल करने को…
बक्सर खबर। (नबी माफ करना अगर खबर में कोई चूक हो। हम सवाल इबादत पर नहीं उठा रहे। बस मौजूदा हालात से लोगों को आगाह कर रहे हैं। ) यह तस्वीर शहर के मध्य में स्थित बड़ी मस्जिद की है। रमजान का पाक महीना चल रहा है। आज शुक्रवार था, अर्थात जुम्मे की नमाज अदा करने का दिन। दोपहर के वक्त खुदा को याद करने वाले नेक बंदे यहां सजदा करने आए थे। मस्जिद का मुख्य गेट बंद था। पिछले रास्ते से बहुत से लोग यहां दाखिल हुए। इबादत की और सलीके से चेहरा ढ़क कर निकल गए।
उन्हें भी हालात का एहसास था। नहीं तो आम दिनों में जो भीड़ यहां जमा होती है। वह कई गुना ज्यादा होती है। लेकिन, क्या ऐसा करना बहुत जरुरी है। जबकि मौजूदा हालात में ऐसा करने की इजाजत नहीं देते। महामारी चरम पर है। एक दिन पहले ऐसे ही हालात रामरेखा घाट पर थे। आखिर धर्म के धक्के में कम कानून को क्यों कुचल रहे हैं। कहीं न कहीं सिर्फ सिस्टम और सरकार दोषी नहीं। हम भी उसके लिए जिम्मेवार हैं। यह शहर के बीचों बीच ऐसे हालात हैं तो दूर दराज और गांव की गलियों में हालात कैसे होंगे। ( उम्मीद है खबर पढऩे के बाद गोधन की तरह कुछ हमारा श्राप भी कटेगा, जय हिंद, बक्सर खबर टीम)