बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। बतकुच्चन गुरू से आज अचानक मुलाकात हो गई। वैसे तो मैं पिछले कुछ दिनों से गांव आया हूं। पिछले सप्ताह चाहकर भी मुलाकात नहीं हो सकी थी। लेकिन, आज बाइक से कहीं चले जा रहे थे। मैंने आवाज देकर रोका। देखते ही मुस्कुरा कर बोले का गुरू, कैसे हो। मैंने पूछा कहा से आ रहे हैं। मेरी बात सुनते ही बोल पड़े। एक मनई से काम रहा। एही बदे आए थे, इ इलाका में।
हमने कहा फोन कर लिए होते, इतनी दूर आने की क्या जरुरत थी। मेरे बात सुन ठहाका लगाने लगे। बोल पड़े अरे गुरू आप कौन दुनिया में रहते हैं। आजकल इस सब अफसर फोन उठाता ही नहीं है। घंटी बजाते रहिए, मन किया तो उठाया नहीं तो कर देगा साइलेंट। हम तो एक मिला से पूछे। यहां नेवता पर आए हो। सरकार तोहरा घरे निमंत्रण भेजी थी। बड़े छछलोल हो, आ जाओं इस नौकरी ले लो। तोहरे बीना देश का काम नहीं चलेगा।
अरे आए हो तो जिम्मेवारी समझो। लेकिन, सब के सब का एकही हाल है। उ ना कहते हैं, कुर्सी मिलते पिछवाड़ा मोटा जाता है। उनकी बातें सुन अब हंसने की बारी मेरी थी। लेकिन, मुझे टोकते हुए बोले। इस सब के एगो पहचान है। गाड़ी में बइठे गा तो खुब भौकाल बनाएगा। मोका मिलते हाथ पसार देगा। इ हाल है सब का। फिर हम दोनों हंसने लगे और अपनी-अपनी मंजिल की तरफ रवाना हो गए।
माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है।