बक्सर खबर। माउथ मीडिया
आज मेरा मन भारी था। दोस्त के पिता का इंतकाल हो गया था। उन्हें मिट्टी देकर घर लौट रहे दोस्त के साथ मैं भी अपने ठिकाने की तरफ लौट रहा था। तभी रास्ते में बतकुच्चन गुरु मिल गए। उनका चेहरा तमतमाया हुआ था। मुझे उदास देखकर बोले। का हुआ गुरु मुंह काहे लटकवले हउअ। मैंने कोई जवाब नहीं दिया बस सलाम कह सर हिला दिया। जानता था बतकुच्चन गुरु से कुछ कहने का मतलब है बात दूर तकल जाएगी। लेकिन वे अपनी आदत के अनुसार शुरु हो गए।
आजकल अपने मुलुक का हाल बहुत खराब है। नेतवन सब अब्बे से चुनावी नगाड़ा बजावे में जुट गवा है। देखा तेल के नाम पर बवंडर मचवले हैं। तो हू के याद होई, एक बार पियजवा अनार हो गइल का बोल चला रहा। बुढ़व के सरकार हिल गवा रही। उ मिला सब पेट्रउल के मोहरा बनवले हउन। अव्वल त इकि तुहे बताव का सरकार बदलले तेल के भाव कम हो जाई का।
अरे इस देश में दूगो पार्टी वाला मिल के तेल के नाम पर जनता के उल्लू बनवले हउअ। तेल क दाम घटवले-बढ़ले जेतना लाभ आम मनई के ना ह। उ से ज्यादा फायदा ए पार्टी वालन क ह। आम मनई के उल्लू बनइह, अप्पन उल्लू सीधा करीह। एहिला हम अप्पन फटफटिया ना ही खरीदे। रोज-रोज के कच-कच में काहें फंसे। अप्पन देश में बहुत समस्या ह। कप्तान हो या दिवान सब मिला चोर हैं। बैंक वाला से ले के स्कूल वाला सब बेइमान है सरउ। जब तक आम मनई न सुधरिहें ए देश क भला न होई।