‌‌‌ पुलिस ने बनाया झूठा केस, कुछ देर में हो गई सच्ची घटना…!

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-राजपुर में रिकवरी एजेंट को बना दिया रंगदार
बक्सर खबर। कहते हैं उपर वाले के यहां देर है अंधेर नहीं। राजपुर की पुलिस के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। खबर पढ़कर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। पुलिस ऐसा भी करती है। या फिर यह भी कहेंगे जो हो रहा है वह गलत हो रहा है। दोनों घटनाएं राजपुर थाना क्षेत्र की हैं। पहली 24 मई को राजपुर थाना के उत्तमपुर गांव के समीप हुई। फाइनेंस की बाइक को एजेंट जबरन एक व्यक्ति से वापस ले रहे थे। उसने पुलिस को सूचना दे दी। हमारे साथ छीना झपटी हो रही है। मौके पर पुलिस पहुंची और वहां मौजूद दोनों युवकों को थाने ले आई। जो स्वयं को बैंक का एजेंट बता रहे थे।

हालांकि इसकी शिकायत करने वाला राजेश कुमार ग्राम खरहना, थाना धनसोई उस वक्त मुकर गया। जब पुलिस ने उससे प्राथमिकी दर्ज कराने को कहा। ऐसी स्थिति में राजपुर के थानाध्यक्ष युसूफ अंसारी ने स्वयं ही उन युवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी। इस आरोप में राहुल पांडेय व गुंजन राय को बीते दिन जेल भी भेज दिया। संयोग देखिए एक तरफ पुलिस यह झूठा केस बना रही थी। तभी एक दूसरी घटना राजपुर थाना के ही सगरांव-मंगराव गांव के मोड के पास हो गई। एसजेवीएन थर्मल पावर चौसा से काम कर हरेराम राजभर अपने गांव संगरांव लौट रहा था। रास्ते में संगरांव-मंगराव के मध्य अज्ञात लोगों ने उसे लूट लिया। विरोध करने पर गोली चला दी। जिससे वह जख्मी हो गया।

हालांकि यह घटना शाम के वक्त हुई। लेकिन, घायल का जख्म गहरा नहीं था। इस वजह से पुलिस उसे संदेह की नजर से देख रही थी। लेकिन, अंदर ही अंदर पुलिस परेशान थी। क्योंकि एक तरफ रंगदारी का मामला उसे स्वयं बनाना पड़ा। दूसरी तरफ बगैर बुलाए नई आफत आ गई। कुल मिलाकर कहें तो जब सच्ची घटना हो तो पुलिस संदेह की नजर से देखे। और कहीं मामला लेनदेन का हो तो उसे रंगदारी व फर्जी वाड़े से जोड दे। तो पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल तो उठेंगे ही। हालांकि यह मामला एसपी के संज्ञान में भी था। लेकिन, स्वयं को बेकसुर बताने वालों की किसी ने नहीं सुनी। घटना के तीसरे दिन आज शुक्रवार को यह मामला मीडिया के सामने आया तो सुनकर सबका माथा ठनका। पता चला रिकवरी एजेंट के दूसरे गोल ने भी इसमें चाल चली और पुलिस के अधिकारी उनके झांसे में आ गए।

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