सियासी आसमान के ध्रुवतारे का नाम था लालमुनी चौबे

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बक्सर खबर : आज रामनवमी है। भारतीय संस्कृति के नायकमर्यादा पुरुषोत्तम अखंण्ड मंडला भगवान श्रीराम का जन्मदिन। इत्तफाकन आज ही सियासत के संत लालमुनी चौबे की पुण्यतिथि भी है। हम यहां उन्हीं की बात करेंगे। वर्ष 2016 में आज ही के दिन लालमुनी चौबे पंचतत्व में विलीन हुए थे। भारतीय संसद में बक्सर का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके लालमुनी चौबे का जन्म भभुआ जिले के कुरई गांव में 6 सितम्बर 1942 को हुआ था। उन्होंने भभुआ के चैनपुर विधानसभा क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व किया। बिहार सरकार के मंत्री रहे। अपनी धुन के पक्के और बेबाक बोलों के लिए मशहूर रहे श्री चौबे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दिल में बसते थे। भाजपा ही नहीं अन्य दलों के नेता भी सियासत में उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।

ईमानदारी की जिंदा मिसाल रहे चौबे का वजन सबको मालूम था। तभी तो प्रथम पुण्यतिथि पर बक्सर के नगर भवन में बड़े-बड़े भाजपा नेताओं का जुटान हुआ था। कहां तो भारत सरकार के रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा, बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे जैसे धाकड़ नेता पुण्यतिथि समारोह में पहुंचे थे।

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देश के वरिष्ठ पत्रकार बक्सर रामबहादुर राय ने इस समारोह का संचालन किया था। सबों ने श्रद्धा के साथ चौबे को याद किया। रेलवे की जमीन में मूर्ति लगाने की बात हुई। लेकिन, यह क्या, अगली ही पुण्यतिथि भुला दी गई। इस बार चौबे की पुण्यतिथि पर कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। जिस आदमी ने सियासी परंपराओं को तोड़ते हुए लोभ-लाभ से मुक्त होकर अपने चरित्र का निर्वहन किया हो, उसे इस तरह कैसे भुलाया जा सकता है? नेता-कार्यकर्ता भले भूल जाएं, लेकिन बक्सर के लोग लालमुनी चौबे को आज भी उसी ईमानदारी के लिए याद करते हैं।

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