कैदियों को जेल में स्मार्ट क्लास, संगीत शिक्षा और मुक्ति आउटलेट जैसी सुविधाएं मिलेंगी

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167 बंदियों की कमाई से पीड़ितों को 28 लाख रुपये मुआवजा देने की मंजूरी, बैठकों में लिए गए कई बड़े फैसले                                                                  बक्सर खबर। जेल में बंद कैदियों की जिंदगी संवारने के लिए सोमवार को समाहरणालय में जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल की अध्यक्षता में दो अहम बैठकें हुईं, जिनमें बंदियों के सुधार, सुरक्षा, शिक्षा और पुनर्वास पर बड़े फैसले लिए गए। बैठक में तय हुआ कि अब कैदियों को केवल सजा नहीं मिलेगी, बल्कि उन्हें सुधरने और कुछ नया सीखने का मौका भी दिया जाएगा। जेल की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, जेल के पुराने और जर्जर बैरकों की मरम्मत और नवीनीकरण किया जाएगा। कारा परिसर में बिजली की वायरिंग, प्रीपेड मीटर और जरूरी भवनों की मरम्मत का काम भी जल्द शुरू होगा।

शिक्षा के मोर्चे पर भी बड़ी पहल हुई है। बंदियों के लिए स्मार्ट क्लास, सामान्य पढ़ाई और संगीत की शिक्षा देने की योजना है। महिला बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई, मधुमक्खी पालन, ब्युटीशियन कोर्स और अचार-पापड़ बनाने जैसे प्रशिक्षण दिए जाएंगे। इसके अलावा, जेल में कृषि और मछली पालन की भी ट्रेनिंग दी जाएगी। स्वास्थ्य की बात करें तो हर महीने विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद से मेडिकल कैंप का आयोजन हो रहा है। वहीं, बंदियों द्वारा तैयार वस्तुओं को बेचने के लिए जेल गेट पर ‘मुक्ति आउटलेट’ बनाया जा रहा है, जिससे उनकी कमाई भी हो सकेगी।

कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक के दौरान अधिकारियों को संबोधित करते डीएम

इसके साथ ही, जिला अपराध पीड़ित कल्याण समिति की बैठक में एक और बड़ा फैसला लिया गया। अब सजायाफ्ता बंदियों की मेहनत की कमाई से पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा। इस बार 167 बंदियों की कमाई से करीब 28 लाख रुपये की राशि पीड़ितों को देने का निर्णय लिया गया है। यह रकम चेक के जरिए पीड़ितों या उनके उत्तराधिकारियों को दी जाएगी। दोनों बैठकों में जेल सुधार से जुड़े कई अधिकारी और विभाग प्रमुख शामिल रहे।

 

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