बिहार में पहली बार सनातन संस्कृति पर गंभीर चर्चा, महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन ने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का किया आह्वान बक्सर खबर। महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे ने सनातन धर्म की महत्ता को लेकर बड़ा संदेश दिया है। वे जिले के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं, जहां वे सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार और गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के अभियान को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने समाज के हर वर्ग से अपील की है कि वे इस महान कार्य में आगे आएं और सनातन संस्कृति को अधिक व्यापक बनाने में योगदान दें। राजकुमार चौबे ने मंगलवार को जिला के सिकटौना ग्राम स्थित गुरुकुल का दौरा किया और वहां के विद्यार्थियों से मुलाकात की। उन्होंने छात्रों को सनातन धर्म की विशेषताओं से अवगत कराते हुए कहा, “यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हमारे आचार्य न केवल बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि उन्हें सनातन संस्कृति से भी परिचित करा रहे हैं। यह बिहार के लिए एक ऐतिहासिक पहल है।” इस अवसर पर उन्होंने गुरुकुल के आचार्य और सहयोगियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि वे कठिन परिस्थितियों में भी निःस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं। यह कार्य सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
राज कुमार चौबे ने कहा कि यह पहली बार है जब बिहार में सनातन संस्कृति को लेकर इतनी गंभीर चर्चा हो रही है। उन्होंने जोर देकर कहा, “यह एक ऐतिहासिक प्रयास है, जो अब तक बिहार में कहीं और देखने को नहीं मिला। समाज के सहयोग से ही सनातन धर्म की व्यापकता अधिक लोगों तक पहुंच पाएगी।” उन्होंने समाज के सभी लोगों से इस अभियान में आगे आने और गुरुकुलों को सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह केवल शिक्षा का नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों को मजबूत करने का अभियान है। इस कार्यक्रम में मंच संचालन पंकज पांडेय ने किया, जबकि राष्ट्रीय मीडिया कोऑर्डिनेटर अशोक उपाध्याय, शाहाबाद संयोजक रविराज, लक्ष्मण पाठक, अरविंद पाठक, अनुराग पाठक, कमल नारायण दुबे, मनीष राय, रामजी पाठक, बनारसी दुबे, प्रेमनाथ दुबे, रंजन दुबे, जनार्दन पांडेय, केदारनाथ दुबे, अमरनाथ दुबे और भोला सिंह जैसे कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। राजकुमार चौबे का यह संदेश पूरे बिहार में तेजी से फैल रहा है और सनातन धर्म की चेतना को जाग्रत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उनका यह अभियान न केवल शिक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि सनातन संस्कृति की जड़ों को भी और मजबूत करेगा।