बक्सर खबर। आज दोपहर एक बजे एम्स के अस्पताल ने स्पेशल बुलेटिन जारी किया। पूरे देश की नजर उस खबर पर थी। पता चला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत चिंताजनक है। इस खबर ने पत्रकारों ो भी बेचैन कर दिया। शाम साढ़े पांच बजे यह घोषणा हुई अटल जी भारत वर्ष से निकल चुके हैं (पाठक हमारे शब्दों को अन्यथा नहीं लेंगे)। इस माहन नेता का बक्सर से क्या नाता रहा। यह जानने के लिए हमने बक्सर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बबन उपाध्याय से बात की। उन्होंने कहा मैं भी उन्हीं को याद कर रहा हूं। टीवी पर खबर आ रही है। दो दिन पहले ही एम्स में दाखिल किया गया था। एक दिन पहले भी भारत से विदा ले सकते थे। लेकिन जाते-जाते भी राजधर्म निभा गए। अपने देश का स्वतंत्रता दिवस मनाकर ही गए। यह कहते हुए श्री उपाध्याय का गला भर आया।
उन्होंने बताया हमारे राजनीतिक जीवन में वे सबसे पहले 1969 के विधानसभा चुनाव में आए थे। विरेन्द्र राय बक्सर विधानसभा के प्रत्याशी थे। दूसरी बार 1974 में बक्सर आए थे। जय प्रकाश नारायण के साथ उन्होंने यहां किला में सभा की थी। कांग्रेस के खिलाफ इन नेताओं ने जन आंदोलन खड़ा किया था। लोकसभा चुनाव में वे लगातार चार बार बक्सर आए हैं। 1996 के चुनाव 98, 99, 2004, में बक्सर आए। वे बिहार में जब भी आते थे बक्सर से ही चुनावी सभी शुरू करते। लालमुनी चौबे को वे बहुत पसंद करते थे। अंतिम बार बक्सर आगमन उन्हीं के लिए हुआ था। सन याद नहीं इमरजेंसी से पहले सिमरी गए थे। वह वाकया काफी रोचक है।
सिमरी ने दी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की प्रेरणा
बक्सर खबर। यह बात उस वक्त की है। अटल बिहारी वाजपेयी सिमरी प्रखंड के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। वहां सड़क मार्ग से जाने के क्रम में नियाजिपुर मोड तक ही सड़क बनी थी। उसको पर करते जब सभा स्थल गए तो वहां की सभा में कहा। मैंने देखा अभी विकास का सच। गांव तक पहुंचने से पहले ही सड़क दम तोड़ देती है। अगर गांव तक सड़क नहीं पहुंची तो हम इसे विकास नहीं कहते। यह बात कहने वाले अटल जी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद ऐसी योजना को मंजूरी दी। जिससे गांव-गांव को सड़क से जोड़ा जा सके। तब हम सभी कार्यकर्ता कहते थे। नेता ऐसा ही होना चाहिए। जो यहां से कहकर गए उसे सरकार में आते ही पूरा करना शुरू किया।