यह भी जाने- रामेश्वर नाथ मंदिर, रामरेखा घाट

0
888

बक्सर खबर। विश्वामित्र की नगरी सिद्धाश्रम में स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर की गिनती यहां के प्राचीन मंदिरों में होती है। गंगा किनारे रामरेखा घाट पर स्थापित इस मंदिर की महिमा भी अपरंपार है। ऐसी मान्यता है भगवान राम ने इस मंदिर की स्थापना स्वयं की है। जिस वजह से इसका नाम रामेश्वर नाथ मंदिर है। बक्सर के महान संत पूज्य श्रीमननारायण दास भक्तमाली उपाख्य मामा जी कहते थे। इस मंदिर का निर्माण तब हुआ जब भगवान यहां दुबारा आए। अर्थात भगवान राम पहली बार तब आए थे। जब वे किशोर अवस्था में थे। तब उन्होंने ताड़का का वध और अहिल्या का उद्धार किया था।

दूसरी बार तब आए जब उन्होंने रावण का वध किया। उन्हें ब्रह्म हत्या का दोष लगा। उन्हें बताया गया सिद्धाश्रम ही वह पुण्य क्षेत्र है। जहां जाकर पूजा अर्चना करने से यह दोष समाप्त होगा। श्रीराम यहां और रामरेखा घाट पर जहां कभी उन्होंने विश्वामित्र मुनी के साथ स्नान किया था। वहीं शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा अर्चना की। ऐसा कहा जाता है रामेश्वर मंदिर के दर्शन से ब्रह्म हत्या के पाप का समूल नष्ट हो जाता है। यह मंदिर लंबे समय से उपेक्षित था। लेकिन फिलहाल इसका जिर्णोद्धार किया जा रहा है। यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। सावन में दूर-दूर से शिवभक्त यहां आते हैं।

add

यहां उत्तर वाहिनी गंगा होने के कारण जल भरने वाले लोग भी आते हैं। मकर संक्रांति के समय नेपाल के यहां हजारों की तादात में श्रद्धालु आते हैं। वे बताते हैं भगवान पशुपति नाथ का अभिषेक यहीं से ले गए गंगा जल से होता है। मंदिर में एक बहुत बहुत घंटा लगा है। संभवत: यह जिले का सबसे बड़ा घंटा है। लोग बताते हैं अग्रेजी हुकूमत से पहले 40 मन का घंटा डुमरांव की महारानी ने लगवाया था। पूजा के बाद जब उन्हें घंटे की आवाज सुनाई देती थी। तब ही वह अन्न ग्रहण करती थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here