फाउंडेशन स्कूल बक्सर में “इंटिग्रेटिंग – रिवर्स, कल्चर, डेवलपमेंट” पुस्तक का विमोचन

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-20 छात्रों ने मिलकर लिखी है यह किताब, सभी ने छात्रों का बढ़ाया उत्साह
बक्सर खबर। फाउंडेशन स्कूल बक्सर में आज एक ऐतिहासिक पल दर्ज हुआ। जब “इंटिग्रेटिंग – रिवर्स, कल्चर, डेवलपमेंट” पुस्तक का विमोचन किया गया। यह विशेष पुस्तक 20 छात्रों द्वारा लिखी गई है। जिन्होंने गंगा नदी के अत्यधिक विविध भौगोलिक परिदृश्य, जलविज्ञान, इसके संकट और समाधान पर गहन शोध किया है। छात्रों ने इस पुस्तक में अपनी रिसर्च पेपर तैयार कर एक बेहतरीन संकलन प्रस्तुत किया है। इस अवसर पर विद्यालय के प्रिंसिपल विकास ओझा ने कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP-2020) बच्चों को सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय वास्तविकताओं से जोड़ने की आवश्यकता पर जोर देती है। यह नीति बच्चों को उनकी शिक्षा को समाज के वास्तविक समस्याओं से जोड़ने की दिशा में प्रेरित करती है, जिससे उनका समग्र विकास होता है और वे समाज और पर्यावरण के प्रति जागरूक होते हैं। उपप्रधानाचार्य मनोज त्रिगुण ने बताया कि बच्चों की शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। उन्हें चिंतनशील और उद्देश्यपूर्ण अभिव्यक्तियां, विश्लेषण, अवलोकन और तर्क करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए ताकि। वे सामाजिक और पर्यावरणीय संदर्भ में अपनी शिक्षा को उपयोगी बना सकें।

इस कार्यक्रम में शामिल अतिथियों ने इस बात पर चर्चा कि, लेखन, विश्लेषण, और डिबेट जैसे कौशल छात्र के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कौशल छात्रों को अपने विचारों को बेहतर तरीके से व्यक्त करने और सामाजिक मुद्दों पर सोचने की क्षमता प्रदान करते हैं। फाउंडेशन स्कूल का यह प्रयास छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देने का एक बेहतरीन प्रयास है। जो NEP-2020 की नीति के अनुरूप है। विद्यालय हमेशा छात्रों को सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विषयों पर सक्रिय रूप से विचार करने के लिए प्रेरित करता है, ताकि वे न केवल अकादमिक रूप से सक्षम बनें, बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी योगदान कर सकें। कार्यक्रम में मिलेनियम पब्लिक स्कूल से भरत, सनबीम स्कूल से रविंद्र, रेड क्रॉस सोसाइटी के सचिव श्रवण तिवारी, बिहार सेंट्रल स्कूल के सरोज कुमार, जनप्रतिनिधि इंद्र प्रताप सिंह और साबित खिदमत फाउंडेशन के दिलशाद आलम  सहित कई अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। डॉ. राजेश्वर और विद्यालय के निदेशक प्रदीप मिश्रा ने छात्रों के इस अद्वितीय प्रयास को सराहा और उनके कृतित्व को सकारात्मक परिणाम बताया। इस मौके पर सभी छात्रों के अभिभावकों ने भी इस पुस्तक लेखन की प्रक्रिया को सराहा और उनके बच्चों द्वारा किए गए प्रयासों पर गर्व महसूस किया।

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