बक्सर खबर। जिले में चल रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों का हाल क्या है। वहां कैसा काम हो रहा है। क्या बच्चों को उचित पोषाहार मिल रहा है। गर्भवती महिलाओं की उचित देखभाल हो रही है। यह प्रश्न जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह ने बाल विकास परियोजना की बैठक में पूछे। अपने आप को फीट एंड फाइन बताने वाले विभाग के अधिकारियों के सामने एक वीडियो भी दिखाई गयी। केन्द्रों का सच क्या है। मौजूदा व्यवस्था से जिलाधिकारी खुश नहीं दिखे।
उन्होंने कहा ऐसे केन्द्रों का राशन-प्रोत्साहन बंद किया जाए। जो नियमित खुलते नहीं। अथवा जिनकी उपस्थिति और नामांकन में भारी घालमेल है। अगर बच्चों का खान बनता ही नहीं तो ऐसे केन्द्रों को राशि देने की जरुरत क्या है। उनका निर्देश सुन बहुत सी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी व सुपरवाइजर बगले झांकने लगी। उनको बताया गया 6 केन्द्रों से बीस हजार रुपये की वसूली हुई है। ऐसा करने वाली सेविकाओं को हटाया भी जाएगा। एक पर कार्रवाई हो भी चुकी है।
ब्रह्म्पुर, सिमरी व चक्की के खराब प्रदर्शन पर भी नाराजगी उजागर हुई। आंकड़ों का जिक्र करते हुए जिलाधिकारी ने कहा नावानगर में तीन, चक्की में तीन, डुमरांव में नौ, इटाढ़ी में पांच बच्चे कमजोर पैदा हुए। यह प्रखंड अस्पतालों की रिपोर्ट है। इन सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में बच्चों की मौत भी हुई है। उनके तेवर देख सभी अपनी-अपनी सफाई देते नजर आए।
इस व्यवस्था में सुधार लाने की चेतावनी दी गई। साथ ही बैठक में अनुपस्थित रहने वाले बक्सर, राजपुर व नावानगर के एमओआइसी, बीएचएम, बीसीएम के वेतन को बंद करने का आदेश दिया गया। बैठक में उप विकास आयुक्त अरविंद कुमार, जिला बाल विकास पदाधिकारी शशिकांत पासवान आदि उपस्थित रहे।