बक्सर खबर। सरकार और प्रशासन देश को चलाते हैं। लेकिन शासन देश में अनुशासन नहीं ला सकता। इसके लिए शास्त्र जरुरी है। आप भय और बल से शासन कर सकते हैं। अनुशासन के लिए संस्कार जरुरी है। उसकी शिक्षा शास्त्र देते हैं। तब जाकर समाज का समुचित विकास होगा। यह उपदेश पूज्य जीयर स्वामी जी ने बुधवार को इंदौर-काशीमपुर चातुर्मास के समापन पर दिए। उन्होंने कहा चार माह की पाठशाला में आपको शिक्षा और ट्रेनिंग दोनों दिए गए हैं। आप उसे अपने जीवन में उतारे।
हर परिवार चाहता है वह सुखी रहे। बच्चे संस्कारी हों। उनका उत्तरोत्तर विकास हो और वे बड़ों का आदर करें। सह शिक्षा आप अपने बच्चों को दें। इसके लिए बहुत जरुरी है कि आपका आचरण अच्छा हो। अपने आप को अच्छा बनाए रखने के लिए बहुत कठिन परिश्रम नहीं करना है। हमारे ऋषि महात्मा ने यही तो सीखाया है। और वही धर्म है, जिससे जुड़कर ही जगत अथवा स्वयं के कल्याण की कामना की जा सकती है। धर्म से अलग होना, गलत मार्ग पर जाना है।
चातुर्मास के समापन पर हुआ कलश स्नान
बक्सर खबर। पूज्य जीयर स्वामी जी का चातुर्मास व्रत 24 अक्टूबर को समाप्त हो गया। समापन के मौके पर मुंडन संस्कार के बाद वैदिक पूजा हुई। स्वामी जी को पांच कलश में रखे गए जल से स्नान कराया गया। इसके साथ ही चातुर्मास व्रत समापन की घोषणा हुई। जेष्ठ मास की पूर्णिमा (28 जून) से प्रारंभ हुआ यह व्रत शरद पूर्णिमा को संपन्न हुआ।
विदा हुए संत, श्रद्धालु
बक्सर खबर। ईटाढ़ी प्रखंड के इंदौर-काशीमपुर गांव में पूर्ण हुए लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में देश के अनेक हिस्सों से पधारे संत महात्मा अब विदा हो रहे हैं। सबने यहां आकर भगवत आराधना के महायज्ञ में योगदान किया। कृपा के भागी बने और सन्यासी संत का आर्शीवाद लिया। एक संत का संकल्प कैसी आभा बिखेरता है। इसके दर्शन इस जिले सहित मीडिया के माध्यम से पूरे देश के लोगों ने किए। विदा होते संतो से पूछने पर उन्होंने कहा जीयर स्वामी जी ने अपने गुरु के सच्चे शिष्य हैं। जो उनके द्वारा दी गई जिम्मेवारी को सच्चे मन से निभा रहे हैं। गुरु के आदेश का पालन ही सच्ची भक्ति है।
बिहार और उत्तर प्रदेश से पहुंचे दस हजार खडिय़ा साधु
बक्सर खबर। यज्ञ के समापन पर उन साधुओं की भी विदाई की जाती है। जो अलावार संत की तरह घूम-घूम कर जीवन व्यतीत करते हैं। बुधवार को यज्ञशाला के चारो तरफ जब उनकी कतार बैठी तो उनकी संख्या देखने लायक थी। चारो दिशा में चार कतारे नजर आ रही थी। प्रत्येक व्यक्ति को कंबल, अन्न एवं द्रव्य दान देकर विदा किया गया।
कलश स्नान के समय पूज्य जीयर स्वामी जी
-विदा होते यज्ञ में शामिल होने पहुंचे संत-महात्मा
दीक्षा प्राप्त करते वैष्णव धर्मावलंबी