‌‌‌ खुद तो डूबे सनम, तीन और को हरा गए पवन सिंह

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-बिहार में विकास नहीं जाति ही रही चुनाव का असली फैक्टर
बक्सर खबर( चुनावी चकल्लस)। राजनीति में उलटफेर संभव है। लेकिन, शाहाबाद की चार सीटों पर जो परिणाम आए हैं। उसने सबको चौंका दिया है। मैदान मारने वाले अपने-अपने नेता को बधाई दे रहे हैं। और हारने वाले उसका कारण तलाश रहे हैं। शाहाबाद की चार सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। चुनावी गणित पर नजर रखने वालों का कहना है। बिहार में विकास कोई मुद्दा नहीं रहा। यहां तो जाति ही चुनाव में हार जीत का कारण बनी। अकेले एक निर्दलीय उम्मीदवार पवन सिंह ने तीन सीटों का गणित खराब कर दिया।

आरा में विकास का मॉडल प्रस्तुत करने वाले आरके सिंह यह समझते थे कि उन्हें जीत मिलेगी। लेकिन, वह भी चुनाव हार गए। बक्सर सीट पर भी भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके पीछे भी अहम कारण रहा कुर्मी और कुशवाहा वोट का बिखराव। यह वोट भाजपा से दूर हो गया। क्योंकि काराकाट में भाजपा के नेता रहे पवन सिंह ने उपेन्द्र कुशवाहा के खिलाफ ताल ठोक दी। आम लोगों में यह चर्चा तेज हो गई कि यह भाजपा के इशारे पर हो रहा है। जिसके कारण वहां उपेन्द्र कुशवाहा तो चुनाव हारे ही। बक्सर और आरा सीट पर भी इस का गलत प्रभाव पड़ा। कुल मिलाकर यहां वही कहावत चरितार्थ हो रही है। हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हे भी ले डूबेंगे।

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