-गायत्री मंत्र की उत्पत्ति, और ब्रह्मा जी को मिली है दोष से मुक्ति
बक्सर खबर। सिद्धाश्रम की महिमा का जितना बखान हो वह कम है। यहां गायत्री मंत्र की रचना हुई। यह सृष्टि का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय था। जहां भगवान वामन का जन्म हुआ, श्रीराम को शिक्षा को मिली। महर्षी विश्वामित्र यहां के श्रेष्ठ कुलपतियों में से एक हैं। जिन्होंने प्रभु श्रीराम को शिक्षा दी। यहां चैत्ररथ वन में चरित्र का निर्माण होता था। तभी तो उस स्थान का नाम चरित्रवन है। यह बातें शुक्रवार को कथा के दौरान पूज्य जीयर स्वामी जी महाराज ने कहीं।
सिद्धाश्रम में चल रहे सनातन संस्कृति समागम के दौरान अपराह्न तीन बजे के लगभग उनकी कथा चल रही थी। स्वामी जी ने कहा मैं कहता हूं यह भगवान राम की शिक्षा व प्रथम कर्मभूमि ही नहीं जन्मभूमि भी है। क्योंकि शास़्त्र कहते हैं। जहां कुल के पूर्वजों का जन्म हुआ हो। वहीं मूल जन्मभूमि होती है। भगवान श्रीराम जिस सूर्यवंश के हैं। उन भगवान सूर्य का जन्म भी सिद्धाश्रम में ही हुआ था। क्योंकि उनके पिता ऋषि कश्यप यहीं विराजते थे।
भले ही वंश के लोग धीरे-धीरे समय के अनुसार स्थान बदलते रहें। स्वामी जी ने कथा के दौरान इस बात पर जोर दिया कि यह भूमि कर्म प्रधान है। चाहे भगवान श्रीराम हो, श्रीकृष्ण हों अथवा महर्षी वशिष्ठ व विश्वामित्र। सबने अपने जीवन में यही संदेश दिया। कर्म ही प्रधान है, भाग्यवादी होना उचित नहीं। व्यक्ति को चाहिए वह अपने कर्म पर ध्यान दे। तभी उसको अपना लक्ष्य हासिल होगा। कथा के दौरान स्वामी जी ने बताया जब ब्रह्मा जी को दोष लगा तो उन्हें भी सिद्धाश्रम में ही मुक्ति मिली थी। यह पवित्र स्थान है। यहां ही इंद्र को श्राप मिला था। वह प्रसंग शिक्षा देता है। पर नारी से संपर्क ब्रह्म हत्या के दोष के समान है।