प्रारंभ हो गया सीताराम विवाह महोत्सव

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-नौ दिवसीय भागवत शुरू, इन्द्रेश जी कह रहे कथा
बक्सर खबर। पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार के पुण्य स्मृति में आयोजित होने वाले 53 वें श्री सीताराम विवाह महोत्सव का भव्य शुभारंभ सोमवार को हो गया। शहर के नया बाजार स्थित आश्रम में यह कार्यक्रम 29 नवंबर तक चलेगा। महोत्सव को लेकर पूरे आश्रम परिसर की विशेष साज सज्जा की गई है। आज प्रातः काल से ही आश्रम में विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए। यहां एक साथ कई कार्यक्रम चल रहे हैं। जैसे श्री रामचरितमानस जी का नवाह पारायण पाठ, दामोह की संकीर्तन मण्डली के द्वारा नव दिवसीय अखण्ड अष्टांग हरिकीर्तन प्रारंभ हुआ।

वृंदावन के श्रीराम शर्मा एवँ श्री कुंजबिहारी शर्मा जी के निर्देशन में रासलीला के तहत माखनचोर प्रसंग का मंचन किया गया। दोपहर बाद भागवत की कथा भी प्रारंभ हुई। बसांव मठ के पीठाधीश्वर श्री अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज, आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण जी महाराज के कर कमलों द्वारा व्यासपीठ का पूजन कर कथा की विधिवत शुरुआत की गई। प्रथम दिन की कथा करते हुए प्रख्यात कथावाचक भागवत मर्मज्ञ श्री इंद्रेश उपाध्याय जी ने भागवत महात्मा की व्याख्या करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा मनुष्य को चार पुरुषार्थ की प्राप्ति नहीं कराती है और जो मनुष्य इस भाव से कथा का श्रवण करते हैं वह चूक जाते हैं।

व्यास पीठ की पूजा करते महंत राजाराम शरण जी महाराज व अन्य

उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा साक्षात भगवत को प्राप्त करने का मार्ग है। श्रीमद्भागवत की कथा के श्रवण से भगवान की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि भगवान के तीन रूप है सत्य, चीत्त और आनंद जबकि स्वरूप अनेक हैं। रूप और स्वरूप में यही अंतर है कि जो हम दुनिया के लिए रखते हैं वह स्वरूप होता है और जो अपनों के लिए रखते हैं वह रूप होता है। श्री इंद्रेश जी ने कहा गुरु की आज्ञा का पालन बिना विचार किए हुए करना चाहिए। गुरु की आज्ञा पर विचार करना दुर्भाग्य का लक्षण है।

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