बक्सर खबर । जो जिस पेशे में रहता है। उसका आचरण व स्वभाव भी वैसा हो जाता है। आज हमारे साथ है धर्मेन्द्र पाठक। साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के लिए हमने उनसे बात की। धर्मेन्द्र सामान्य कद-काठी के आम इंसान हैं। लेकिन पत्रकारिता के पेशे में रहने के कारण उनके तेवर में काफी बदलाव आ गया है। कल तक जिस बात को छोटी समझ नजरअंदाज कर देते थे। अब उनको वहां भी खास बात नजर आती है। बातचीत के क्रम में हमने उनके व्यक्तिगत जीवन से लेकर पेशे के बारे में जानने का प्रयास किया। इस क्रम में कई बातें खुलकर सामने आई। फिलहाल वे हिन्दुस्तान समाचार पत्र के संवाददाता के रुप में काम कर रहे हैं।
खबरों का जिक्र करने पर उन्होंने कहा। पत्रकार को समझ होनी चाहिए। छोटी सी जान पडऩे वाली बात बहुत गंभीर होती है। एक बार की बात है। स्टेशन रोड में बुनियादी विद्यालय के पास रात के वक्त ट्रक खड़ा था। उसका चालक पंजाब से बीज लेकर जिला मुख्यालय आया था। रात हो चली थी तो उसने सोचा शहर है, सुरक्षित है यहीं रात गुजार लेता हूं। गाड़ी में ही वह सो गया। आधी रात का वक्त हो चला तो कुछ उच्चकों ने उसपर धावा बोल दिया। गाड़ी में ही उसे लूट लिया। सुबह थाने में शिकायत करने गया पुलिस की मनमानी।
इस बीच उससे मुलाकात हुई। उसकी बात सुनने के बाद मैंने खबर लिखी। अब नहीं आउंगा बिहार, इस शीर्षक से छोटी खबर छपी। लेकिन, उस खबर पर तत्कालीन पुलिस कप्तान की नजर पड़ी। उन्होंने पूरे महकमें की क्लास लगा दी। डीएसपी उसके बारे में पूछते मिलने आए। हमारे कहने का तात्पर्य है पत्रकार को खबर की वास्तविकता परखनी चाहिए। सिर्फ हवा-बाजी के लिए खबर लिखने से मीडिया की विश्वसनियता को ठेस पहुंचती है। आज ऐसी समझ है धर्मेन्द्र की। प्रस्तुत है उनके बातचीत के अन्य मुख्य अंश :-
पत्रकारिता जीवन
बक्सर । धर्मेन्द्र बताते हैं मुझे खबरों की दुनिया से जोडऩे का पहला श्रेय प्रमोद चौबे को जाता है। वर्ष 2006 की बात है। तब प्रमोद आज अखबार के लिए लिखते थे। बबलू उपाध्याय उसके कार्यालय प्रभारी थे। उनके सानिध्य में मैं भी आज से जुड़ गया। लंबे समय तक हम लोगों ने काम किया। बबलू भैया ने आज छोड़ा तो हमारा भी नाता उससे टूट सा गया। इस बीच 2012 में मैंने दूरदर्शन के लिए काम करना शुरू किया। नवसीखुआ होने के कारण सर्वेक्षण टीम में रखा गया। एक वर्ष तक वहां मैंने काम किया। लेकिन परिवार से दूर होने के कारण मैं वहां से वापस लौट आया। इस बीच 2013 में हिन्दुस्तान अखबार से रिश्ता जुड़ा। फिलहाल पांच वर्षो से यहीं काम कर रहा हूं।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर। धर्मेन्द्र कुमार पाठक का जन्म 27.07.1980 को जिले के ईटाढ़ी गांव में हुआ। पिता श्याम बिहारी पाठक के तीन पुत्रों में वे सबसे बड़े हैं। राज हाई स्कूल से 1995 में मैट्रिक, एमवी कालेज से 2003 में स्नातक व छत्रपति शिवाजी कालेज कानपुर से एमए की डिग्री हासिल की है। उनकी शादी वर्ष 2001 में हुई। अब वे एक बेटी व एक बेटे के पिता हैं। शहर के चरित्रवन इलाके में रहते हैं। पत्नी भारतीय संस्कारों वाली नारी है। इस लिए मजे से उनका जीवन कट रहा है।