बक्सर खबर: श्रीमद्भागवत कथा ही मानव जीवन का दर्शन है। भागवत कथा ही जीवन की उपयोगिता एवं महता को तथा परमात्मा की सार्व भौमिकता को बताती है। भगवान के चरित्रों में भागवत कथा ही श्रेठ है। कथा सुनने से परमात्मा की प्राप्ति तो निश्चित ही होना है। यह युवक्त बातें गोदारंगनाथ महोत्सव के दुसरे दिन तेज पाण्डेयपुर गांव चल रहे प्रवचन में जगतगुरू रामनुजाचार्य डा. पुण्डरीक जी महराज काशी ने कही। पुण्डरीक महराज ने कहा कि जीवन की सम्पूर्ण लक्ष्यों की प्रति प्राप्तिकर प्रमात्मा के सम्मुख कराने वाला एक मात्र ग्रंथ ही भावगवत है।
डा. पुण्डरीक महराज ने कहा कि पुरा भागवत ग्रंथ तीन संबादों पर ही बना है। पहला सुत और सनकादी (ऋषी) । दुसरा संबाद ब्यास व नारद और तीसरा संबाद सुखदेवजी व परिक्षित के बीच हुआ था। इन तीनों संबादों में तीन प्रकार के विषयों पर चर्चा हुई है। जिसमें सनकादी मुनी ने नेमशारण क्षेत्र में बैठकर सुतजी से जिज्ञासा से पुछा कि भगवान कलयुग में प्रणियों का कल्याण कैसे होगा। इस प्रसंग में सुतजी ने देव ऋषी नारद व सनत कुमारों की कथा की दार्शनिक चर्चा की। इन्हीं प्रसंगों में सनत कुमार नारद के द्वारा जो संबाद हुआ। उसी प्रसंग में गोर्कण व धुधकारी की कथा सुनाई। धुधकारी जैसे महापापी की मुक्ती भागवत कथा से ही संभव हुई। यह ऐसी कथा है जो पापियों को भी परमात्मा का स्वरूप प्रदान कराती है। आगे की चर्चा में भागवत कथा की विधी व विशेषता पर चर्चा कररते हुए सत्यं परंम धी महीं की चर्चा की गई।