बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। बतकुच्चन गुरू नियम के बड़े पक्के आदमी हैं। जो कह दिया उसको पूरा जरुर करते हैं। आज सुबह उनका फोन आया। हालचाल शुरू हुआ तो कहने लगे। आज कल बहुते लोग अपने जिले में आ रहा है। सबको कोरा में रखा जा रहा है। एक दिन पहिले हम स्टेशन पर देखे रहे। ट्रेन से लोग उतर रहा था। बड़का-बड़का साहेब टाइप लोग उन सबके आगवानी कर रहा था। देख के मिजाज खुश हो गवा। कबो हमहूं ट्रेन से आवे तो इ सब लोग हमारा अगवानी में खड़ा होता। पूछे पर पता चला, लोग दूसरा प्रदेश से अपने जिला लौटे हैं। इ लोग के रहे बदे व्यवस्था किया जा रहा है। हब सुने त बड़ा हैरान हुए। एतना व्यवस्था, मन नहीं माना। पता किए कहां बना है अइसन सेंटर।
देखे बदे पहुंचे तो उ सब कह रहा था, भोजन लेट से मिल रहा है। अभी तक बाल्टी मग नहीं मिला। बहुत ढ़ीला व्यवस्था है। हम पूछे कब आए हो। एक मिला कहने लगा, सुबह से आए हैं। कवनों व्यवस्था नहीं है। अभी हम पूछ ही रहे थे। उ मनई गरम हो गवा, लगा आउर-बाउर बोलने। सोचे ओकर लोला रगर दें। अरे आए हो तो थोड़ा सबुर धरो। तोही सब बदे सरकार एतना मेहनत कर रही है। थोड़ा आगे पीछे होता है तो बर्दाश्त करो। देश पर आफत आया है। ससुर हितई में आए हो। कोरा सेंटर में भेजा गया है। एकर मतबल है कि कपार पर चढ़ोंगे। हमारा बात सुन के सटक गया। हम भी उहां से हट गए। लगा हमरा माथा आउट हो जाएगा। लउटे लगे तो एगो मनई रास्ते में मिल गया।
हम पूछे , परभू कहां जात हउव। उ कहने लगा बतकुच्चन गुरू हम तो कोरा सेंटर जा रहे हैं। हम बोले अरे तू का करे जा रहा है उहां। तू तो गांव में थे एतना दिन से। उ कहने लगा, काका उहां जाने पर बल्टी-मग, सोड़ा-साबुन, राशन-पानी सब फ्री हौ। हम तो सुन रहे हैं। उहां रहे वालन के खाता में रुपया भी मिलेगा। ओकर बात सुन हम हंस दिए। जेकरा भेजा जा रहा है। उ तो नखरा दिखा रहा है। जवन के घरे रहे चाही सेंटर जा रहा है। यह कहते हुए उन्होंने फोन काट दिया। उनकी बातें सुन मैं भी हंस रहा था। साथ ही मन में यह सवाल उठ रहा था। जो बात बतकुच्चन गुरु के समझ में आ रही है। वह उन सबों को क्यों समझ में नहीं आ रही। जो केन्द्र में पहुंचे हैं। उन्हें परिस्थिति के अनुसार थोड़ा सहयोग तो करना ही चाहिए। क्योंकि विवाद करने से समस्या का समाधान होने की जगह वह बढ़ जाएगी।
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