ताड़ी पीना है जानलेवा, निपाह वायरस का खतरा

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बक्सर खबर। गर्मी के मौसम में ताड़ी उतारने और बेचने वालों का धंधा परवान पर होता है। अपने जिले में भी यह धंधा खूब चलता है। गांव- देहात के अलावा शहर में भी ताड़ी उतारने और बेचने का कारोबार होता है। लेकिन इस बार ताड़ी के शौकीन लोगों के लिए बुरी खबर है। इसका सेवन करना जानलेवा हो सकता है। क्योंकि देश में निपाह वायर ने दस्तक दे दी है।

केरल राज्य में जहां नारियल और ताड़ के सर्वाधिक पेड़ होत हैं। वहां इस रोग ने दस्तक दी है। कई लोगों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही साथ बिहार के पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में भी दो-तीन मरीजों की पहचान हुई है। जो इस वायरस से ग्रसित हो चुके हैं। यह इतना खतरनाक वायरस है जो कई लोगों की जान ले चुका है। विशेषज्ञों के अनुसार यह चमगादड़ के कारण फैल रहा है।

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चमगादड़ ताड़ के पेड़ पर रहना पसंद करते हैं। वहां अगर ताड़ी निकालने के लिए लबनी लगाई जाती है तो वे अक्सर रस पीने के लिए मुंह लगाते हैं। ऐसे में उनका वायरस ताड़ी में घुल सकता है। जिसे पीने वाले अनजान बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं। और ताड़ी पीने का शौक जानलेवा साबित हो सकता है। इस लिए ताड़ी से दूर रहने में ही भलाई है। इस खतरे से लोगों को आगाह कराने के लिए सरकार ने भी जिलों को सूचना जारी कर दी है।

क्या है निपाह वायर आप भी जान लें:-

निपाह वायरस का नाम मलेशिया में एक जगह के नाम पर है जहां पर यह पहली बार 1998 में आया था ।
ह्यूमन निपाह वायरस :-
1. 1999 में सिंगापुर में यह रोग पाया गया ।
2. यह बंग्‍लादेश में काफी होता है और सामान्‍यत: दिसम्‍बर से मई महीने में होता  है ।
3. यह पेट्रोपस जीनस नाम के बड़े फल खाने वाले चमगादड़ से होता है जो कि इसका प्राकृतिक रीजर वायर है ।
4. भारत में पहली बार यह 2001 में सिलीगुड़ी जिले में और 2007 में नदिया जिले में पाया गया ।
5. प्राय: ताड़ी वृक्ष के जूस पीने से मनुष्‍यों में आता है जिसके रस में चमगादड़ों ने सम्‍पर्क किया हो ।
6. नदिया जिले में 2007 में 5 मामला पाया गया और 5 मृत्‍यु एक ही परिवार से हुई और मृत व्‍यक्तियों के घरों के आस-पास बहुत सारे चमगादड़ लटकते पाये गये थे ।
7. यह वायरस चमगादड़ों से ताड़ी का जूस होता है और इनसे प्रभावित व्‍यक्तियों के सम्‍पर्क में रहने से होता है ।
8. यह एक इ‍मर्जिंग डिजीज है ।
9. इसके लक्षण हैं- बुखार, विचलित मानसिक स्थिति, बहुत कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ, खांसी, उल्‍टी, मसल्‍स पेन और डायरिया
10. अभी तक इसके इलाज करने का कोई दवा नहीं है लेकिन रिबार्विनिंग एक एण्‍टी वायरल है जिससे मृत्‍युदर  कम करने में सहायक हो सकती है ।
11. इस बीमारी का फैलाई ‘एसएसओ के सूचना के अनुसार’ यह बीमारी कोझीकोड (केरल) जिले में है जहां पर 18 मामले है और 11 मृत्‍यु हुई है (22 मई, 2018 तक)
भारत सरकार के कदम :- डॉ. सुजीत कुमार सिंह, निदेशक, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कन्‍ट्रोल के नेतृत्‍व में एक टीम कोझीकोड (केरल) पहुंच चुकी है जिसमें डॉ. एस.के. जैन, एडिशनल डॉयरेक्‍टर एण्‍ड एचओडी (इपी‍डेमियोलॉजी डिवीजन, NCDC), डॉ. नवीन गुप्‍ता, ज्‍वांइट डायरेक्‍टर एण्‍ड एचओडी जूनोसि‍स, NCDC, डॉ. पी रवीन्‍द्रन, निदेशक (EMR), एक न्‍यूरोफिजीशियन और श्‍वास से संबंधित एम्‍स दिल्‍ली के एक अधिकारी, पशुपालन विभाग भारत सरकार के अधिकारी राज्‍य सरकार से समन्‍वय कर रही है ।

यह जानकारी हमें केन्द्रीय परिवार कल्याण राज्य स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे की मीडिया सेल से प्राप्त हुई है।

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