बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। रास्ते में बतकुच्चन गुरू मिल गए। देखते ही भड़क गए। काहे परेशान हौ गुरू, जाब लगाए हो तो पूरा थुथुन ठीक से तोप के रखिए। नाक के खुला काहे रखे हैं। मैं समझ गया उन्हें मेरे मास्क पहनने का तरीका पसंद नहीं आया था। मैंने तपाक से उसका पोजेशन ठीक किया। लेकिन, वे बोले जा रहे थे। ए बार लोगन के पता चलेगा। लकडउन के फयदा अउर घाटा। सांच कहें त हर बात के यहां लोग गलत अरथ लगाता है।
अब देख लोग टउआते रह गए। इहां के सरकार अप्पन बचवा सब के मेट्रिक व इंटर पास करा दिया। यहां गुरू और चेला से तेज सरकार निकली। लेकिन, कुछ मिला इहां फेकफुक पर चिल्ला रहे हैं। पढ़ाई बंद करा दिए, कोचिंग पर ताला लटका दिए। बच्चा के भविष्य खराब हो रहा है। पांच राज में चुनाव हो रहा है। हरिद्वार में कुंभ हो रहा है। उहां कोरोना नहीं है। जो यहां सब बंद कर रहे हैं। लगत है, इस सब के उहां जा के दवाई बांटना है। सबके बुझा रहा है। अप्पन दुकान चलावेला ला बकइती कर रहा है सब।
ससुरी इ महामारी भी गजब है। न जाने केकर, केकर जान लेगी। केतन लोगन के रोजी-रोटी चौपट कर दिया। ए बेर तो ससुरा गजबे हो गवा है। अमेरिका से नया क्वालिटी के वयरस आ गया है। हम्मर देश में आ के भौकाल मचा दिया है। ए बेर त केतने नेता बेचैन हैं। ओहू सब के पकड़ लिया है। धक-धक बढ़ रहा है। इतना कहने के बाद उन्होंने मेरी तरफ सवाल की मुद्रा में देखा। मैं कुछ बोलने को हुआ उससे पहले ही वे फिर बोल पड़े। देख गुरू, समय रहते सावधानी नहीं बरता गवा त न जाने केतने मनई टुन्न हो जइहें। तु लोग समझदारी दिखाव, अउल-जउल छापे से ज्यादा जरुरी हौ, लोगन के जागरुक करा तु लोग। इतना कह वे चलते बने। उनकी बातें सुन मन खुद से सवाल करने लगा। क्या इस बार के हालात पहले से ज्यादा खराब हैं।
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