बक्सर खबर (माउथ मीडिया) । गजबे हो गवा है, पते नहीं चल रहा है इ 23 चल रहा है कि 24, हमरा तो माथा चकरा रहा है। यह सवाल बतकुच्चन गुरु ने मुझे देखते ही दाग दिया। हालांकि एक अंतराल के बाद उनसे मुलाकात हुई थी। मैंने सोचा कुछ हाल चाल पूछेंगे। लेकिन, मुझ पर नजर पड़ी मैं कुछ बोलता। उससे पहले की उनका सवाल मुझ तक पहुंच गया। मैंने हंसते हुए कहा गुरु सवाल भी आप हैं और जवाब भी। आपको कुछ बताने की जरुरत क्या है। आप तो समय से आगे देखते हैं। मेरी बात सुन वे हंस पड़े। उन्होंने कहा का कहें गुरू, जमाना बदल रहा है। हमरा इ नहीं बुझा रहा है कि इ जौन साल चल रहा है। उ ससुरा 23 है की 24, का समझे। मैंने अनभिज्ञता जताते हुए सीर हिलाया।
क्योंकि उनके सामने बोलने का मतलब है जोखिम मोल लेना। वे बगैर रुके बोले जा रहे थे। जहां देखो एतना राजनीति हो रहा है कि समझे नहीं आ रहा है। सब के सब पार्टी वाला 24 -24 बरा रहा है। सुन-सुन के हमरा माथा चकरा रहा है। उपर से इ गरमी परेशान की है ससुरी। दूसरे इस सब 23 में 24 ढकेल दिया है। आसमान से आदित्य नारायण गर्मी फेंक रहे हैं नीचे ससुरा इस सब आग उगल रहा है। मनई सब ए तापमान में खउल रहे हैं। तोरे बिरादगी वाले एक से एक सगुफा छोड़ रहे हैं। क वाला विधायक र वाला के हवा कर दिया है। अप्पन-अप्पन दावा ठोक रहा है।
जे मिला के कांधा पर इस सब बइठ के गलचउरन कर रहा है। ओकरे बारे में कवनो नाम नहीं ले रहा है। अप्पन-अप्पन दावा कर रहा है। उ का कहते हैं लफ्फाबाजी करे में इस सबके कवनो जवाब नहीं है। मीडिया के चोंगा देखते इ सब सपना देखने लगता है। एही बदे ससुरा गरमी और बढ़ गवा है, का समझे। इतना सबकुछ बोलने के बाद उन्होंने मेरी तरफ देखा। मैंने उनकी हां में हां मिलाया और उनका हाल पूछा। वे फिर बोल पड़े, अरे गुरू जाओ-जाओं कुछ लिखो पढ़ो। बाजार में रहोगे तो गरम हवा चल रहा है। तोहरो हवा लग जाएगी। एकरा से बच के रहो। यह कहते वे आगे निकल गए। मैं उनकी बातें सुन सोचता रहा गया। क्या सच में 24 की हवा 23 में आ गई है। (माउथ मीडिया एक व्यंग कालम है। जो शुक्रवार को प्रकाशित होता है। इससे जुड़े सुझाव आप हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं। )