-चर्चाओं का बाजार गर्म, पुलिस विभाग कटघरे में
बक्सर खबर। नगर कोतवाल दिनेश मलाकार के ऊपर निलंबन की तलवार लटक रही है। क्योंकि उनके डीआईजी शाहाबाद ने कार्रवाई करने का आदेश जारी कर दिया है। लेकिन, दूसरी तरफ जो बयान पीड़ित ने दिया है। उसने पुलिस विभाग को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। शहर के खलासी मोहल्ला के रहने वाले महेश राम ने डीआईजी को शिकायती पत्र भेजा था। पुलिस ने उसकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की। जबकि उसके साथ छह लोगों ने मारपीट की है। इसको लेकर शाहाबाद प्रक्षेत्र के डीआईजी ने शोकाज करते हुए एसपी को संबंधित पदाधिकारी पर निलंबन की कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट तलब की है। उसके बाद से ही दिनेश मलाकार सुर्खियों में हैं। उनके साथ क्या होगा, यह विभाग को तय करना है।
लेकिन, जब पीड़ित महेश राम से बात की गई तो उसने चौंकाने वाला बयान दिया। उसने बताया कि मेरे साथ कसाई मोहल्ला की तरफ रहने वाले छह लोगों ने मारपीट की थी। और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया गया। इसकी शिकायत मैंने एससी एसटी थाने में दी थी। लेकिन, वहां मेरी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। इसको लेकर मैंने अपने वकील से बात की। उन्होंने आवेदन तैयार किया और कुछ अधिकारियों को डाक से भेज दिया। उसके बाद मामले की जांच का आदेश जारी हुआ। इसी बीच मैं पूर्व के एक मामले में जेल चला गया। बाहर आया तो नगर थाने में पुन: अपनी शिकायत लेकर गया। जहां मेरी शिकायत पर छह लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई। लेकिन, जांच में दो लोगों का नाम बाहर कर दिया गया है। जबकि उन लोगों ने जहर देकर मेरी दस पालतू सूअर को मार दिया था। इसी वजह से विवाद हुआ था।
प्राथमिकी कब दर्ज हुई? यह पूछने पर महेश ने बताया कि मेरे साथ मारपीट की घटना 14 जून को हुई थी। लेकिन, एससी एसटी थाने के इनकार के बाद 12 अगस्त को मेरी प्राथमिकी नगर थाने में दर्ज की गई। अब यहां एक सवाल यह उठता है कि अगर एससी एसटी थाने ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की तो नगर थाने की शिकायत क्यों हुई? यह पूछने पर महेश का जवाब था कि वकील साहब ने आवेदन तैयार कर बड़े अधिकारियों को भेजा था। हालांकि महेश का बयान भले ही चौंकाने वाला है। लेकिन, इस प्रकरण में डीआईजी द्वारा उठाए गए सख्त कदम से एक संदेश स्पष्ट सामने आया है। कोई भी थानेदार अगर प्राथमिकी दर्ज करने में आनाकानी करते हैं तो विभाग उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई कर सकता है।