जगत में दूसरा नहीं हुआ श्री राम जैसा त्यागी राजा : कृष्णानंद शास़्त्री

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-श्रीराम कथा के दौरान सातवें दिन हुई श्रीराम सीता के त्याग व धर्म स्थापना की कथा
बक्सर खबर। सर्वजन कल्याण सेवा समिति सिद्धाश्रम द्वारा रामेश्वर मंदिर परिसर में चल रही नौ दिवसीय राम कथा के दौरान राम विवाह का प्रसंग और उससे आगे की कथा हुई। इस दौरान कृष्णानंद शास्त्री उपाख्य पौराणिक जी ने कथा में कहा कि श्री राम की भांति रावण का भी अवतार हुआ है। ऐसा क्यों हुआ, जब गृहस्थी का जीवन भोग एवं वासना प्रधान होता है तो रावण का अवतार उसके घर में होता है। जब गृहस्थ योग एवं उपासना प्रधान जीवन जीने में विश्वास करता है। तब उसके यहां श्रीराम का अवतार होता है। राम एवं रावण के अवतार के पीछे  गृहस्थ जीवन की यात्रा भी एक कारण है।  यह एक विचित्र दृश्य है की लंका का राजा रावण है उसके भ्रष्टाचार की ज्वाला के भय से सारा संसार भयभीत है। वह भोग एवं वासना में लिप्त मोहग्रस्त है। उसके राज्य में कहीं भी धर्म सुनाई नहीं दे रहा था।

जंगलों में श्री राम ने देखा धर्म करने वाले धर्मात्माओं को जीते जी मार कर उनके मांस भक्षण के बाद हड्डियों का एक बहुत बड़ा संग्रह जो पहाड़ जैसा दिखाई दे रहा था। रावण ने इसलिए ऐसा कराया था की भय से ग्रस्त होकर कोई भी भारतीय धर्माचरण ना करें lअब राम को यह कृत असह्य हो गया और वह राक्षस संहार तथा सनातन धर्म संरक्षण की दिव्य संकल्प लेते हैं। अपनी प्रिया सीता को इसका कारण बनाने हेतु सीता को आदेश देते हैं- देवी अब आप तब तक अग्निवास करिए जब तक निशाचारों का नाश न हो जाए और सीता जी ने अपना प्रतिबिंब श्री राम को दे दिया। स्वयं अग्नि में निवास की। ऐसा क्यों ,सीता साक्षात धर्म मूर्ति हैं। और रावण धर्म का प्रतिमान असली सीता का स्पर्श होते ही जलकर खाक हो जाता। अतः श्री राम ने यह लीला रची क्योंकि केवल रावण नहीं रावण समाज का विनाश करना था। अतः रावण को जीवित रखना जरूरी था तब तक कि जब तक सभी राक्षसों का विनाश ना हो जाए। राक्षसों का समूल नाश ही धर्म की रक्षा है।

सनातन धर्म की रक्षा हेतु श्री राम ने अपना सर्वस्व बलिदान किया राजश्री, पिता, माता का सौभाग्य, प्रजा, अवध का समस्त राजर्षि सुख। यह जानने के बाद भी की सीता के हरण से समाज में मेरी अपकीर्ति होगी और मुझे पत्नी का साथ भी जीवन पर्यंत नहीं मिलेगा। फिर भी श्री राम ने संसार को रावण भय से मुक्त करने हेतु पत्नी को तथा सीता ने पति सुख को बली की विधि पर भेंट चढ़ा दिया। श्री राम का और सीता का बनवास इस सृष्टि के समस्त राजकुमार एवं राजकुमारी के लिए धर्म देश समाज के हित एवं सुरक्षा के लिए बेमिसाल उदाहरण है। सृष्टि के इतिहास में आज तक कोई भी राज परिवार समाज के लिए इतना बड़ा बलिदान नहीं किया जितना श्री राम के परिवार ने किया। आप देखेंगे चाहे श्री राम हो या उनके भाई श्री सीता जी हो या उनकी अन्य बहने सभी एक से एक बढ़कर बलिदानी दी है। सिर्फ सीताराम का यह वनवास एक बलिदान मात्र है। और समस्त जगत के कल्याण जनक है।

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