यह भी जाने:- नाथ मंदिर बक्सर की महिमा और स्थापना

0
3998

बक्सर खबर। चरित्रवन का नाथ बाबा मंदिर आज बक्सर की पहचान बन चुका है। किसी से पूछिए तो यही कहता है। नाथ मंदिर के पास। या नाथ बाबा घाट। अर्थात यहां का गंगा घाट भी उसी नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की नीव अब से 54 वर्ष पहले पड़ी थी। सच ही कहा गया है। अगर आपकी नियत साफ है तो आपको सबकुछ प्राप्त होगा। नाम, यश व प्रसिद्धि सबकुछ। हालांकि यह शब्द उनके व्यक्तित्व के आगे छोटे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं नाथ बाबा की। उनका पूरा नाम क्या है यह पूछने का साहस हम भी नहीं जुटा पाए। मंदिर के जुड़े लोग बताते हैं।

54 वर्ष पहले जब वे आए तो एक नव युवक के स्वरुप में। सन 1964 की बात है तब चरित्रवन के इस घाट पर बाबा ने धुनी रमाई। फिर क्या था तीन वर्ष के अंतराल में एक मंदिर बनकर खड़ा हो गया। सच्चे सन्यासी की आभा का परचम पूरे जिले में लहराने लगा। भक्तों की संख्या बढ़ती गई और सन 1984 में विशाल मंदिर की नीव पड़ी। यह वर्ष 1987 में बनकर तैयार हो गया। मंदिर में प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा भी उसी वर्ष हुई। जिसके बाद भव्य मंदिर खड़ा हुआ जिसे आज शहर देख रहा है। बाबा द्वारा यहां नर्मदा नदी से लाया गया शिवलिंग स्थापित है। जिन्हें चन्द्रमौलीश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। शिवलिंग पर बालचन्द्र सुशोभित है। साथ ही यज्ञोपवीत की धवल रेखा भी स्पष्ट दिखाई देती है। इसे कामना सिद्ध शिवलिंग भी कहा जाता है।

मंदिर के अंदर विद्यमान भगवान गौरीशंकर की प्रतिमा

सबसे खास है द्वादश ज्योतिर्लिगों का दर्शन एक साथ किया जा सकता है। कहा जाता है कि प्रात: एवं सायं इनके दर्शन से अध्यात्मिक उर्जा की प्राप्ति होती है। मण्डलाकार प्रतिष्ठित बारह ज्योतिर्लिगों के बीच आत्मलिंग प्रतिष्ठित है। इनके नित्य दर्शन से योगियों को सिद्धि तथा भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां कर्पूर गौर विग्रह एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में डमरु, वामांग में माता पार्वती तथा गोद में मुदमंगल दाता गणेश युक्त भगवान गौरीशंकर की प्रतिमा प्रतिष्ठित है।

पूजा करते नाथ बाबा

इसके अतिरिक्त यहां आदि शक्ति सिद्धेश्वरी मां दुर्गा, सप्ताश्वरथारुढ़ द्वादशादित्य, वीरबंक नाथ जी, बटुक भैरव नाथ, मकरवाहिनी श्री गंगा माता, आदिशेष नाग सहित नवनाथ चौरासी सिद्धमण्डल, भगवान सूर्य आदि के स्वरुप प्रतिष्ठित हैं। यहां बाबा द्वारा लाया गया जल में भासमान एक पत्थर है। जिसे रामेश्वर सेतु का पत्थर कहा जाता है। मंदिर में तीन अखंड ज्योतियां पिछले चौवन वर्षों से जलती चली आ रहीं हैं। मंदिर में रूद्राक्ष के वृक्ष भी हैं। एक छोटी मगर समृद्ध गौशाला है। जिसके कारण ही सही यहां भगवान की कृपा बरस रही है। मंदिर हमेशा श्रद्धालुओं से गुलजार रहता है। सुबह गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं से लेकर संध्या बेला में गंगा घाट की सैर करने वाले लोग भी यहां हमेशा दिखते हैं। अर्थात यह मंदिर हमेशा गुलजार रहता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here