बक्सर खबर। आज हम आपसे परिचय करा रहे हैं उस मिठाई का। जिसकी खुशबू बक्सर ही नहीं केरल तक पहुंच चुकी है। चौसा प्रखंड के सरेंजा गांव में यह बनती और बिकती है। इसका इतिहास चालीस साल से अधिक पुराना है। तब यह गांव में बिकती थी। फिर वह बक्सर-कोचस मुख्य मार्ग पर आई। धीरे-धीरे लोगों की जबान पर चढ़ती गई और इसकी खुशबू जिले ही नहीं अन्य प्रदेशों में पहुंच चुकी है। इसकी चर्चा का कारण सिर्फ स्वाद नहीं नाम भी है। शायद ही आपको कहीं मजिस्ट्रेट नाम की मिठाई खाने को मिले। अपने नाम व स्वाद के कारण जिले के बहुत से लोग इससे वाकिफ हैं। सरेंजा गांव की दो झोपड़ी नुमा दुकानों में इससे बनाया जाता है। एक दुकानदार का नाम राजेश्वर और दूसरे का नाम घुरली। अब इनकी दूसरी पीढ़ी इस धंधे की तरफ बढ़ चली है। खबर ने अपने साप्ताहिक कालम यह भी जाने के तहत इस पर चर्चा की। तो कई बातें खुलकर समाने आई।
कैसे बनती है मिठाई, क्या है कीमत
बक्सर खबर। मजिस्ट्रेट मिठाई दूध से बनती है। दुकानदार गोरख कुमार बताते हैं। एक लीटर दूध को जलाने पर 250 ग्राम मिठाई बनती है। जिसे हम लोग साढ़ रुपये पाव बेचते हैं। वैसे इसकी कीमत 250 रुपये किलो है। यह शुद्ध होती है। इस लिए हफ्तो खराब नहीं होती। इसका उपयोग व्रत-त्योहार में भी होता है। लोग इसे दूर-दूर से खरीदने आते हैं। राह चलते लोग भी इसका आनंद लेने से नहीं चूकते। एक पीस की कीमत दस रुपये रखी है। हमारे पिता राजेश्वर प्रसाद ने इसकी शुरूआत की। अब हम इस धंधे को संभाल रहे हैं। बहुत महंगी नहीं होने के कारण बिकते ही आसानी से बिक जाती है। वैसे तो सरेंजा में अनेक दुकानें हैं। लेकिन दो लोग इसका निर्माण करते हैं। दुकानदार इससे खुश हैं। उनके परिवार का खर्च चल जाता है। उनकी व्यस्तता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं। दुकान खुलने के समय जो चूल्हा जलता है। वह बंद होने तक बुझता नहीं है।
किसने रखा नाम कैसे मिली सीख
बक्सर खबर। गोरख प्रसाद गुप्ता से जब हमने जाना कि उनके पिता राजेश्वर ने तीस वर्ष पहले दुकान खोली थी। तो उनसे संपर्क किया। लगभग 55 वर्ष की आयु पूरी कर चुके राजेश्वर गुप्ता ने बताया मैं जब इंटर में था। तब यह दुकान खोली थी। मैंने इसका हुनर जोखू शाह की दुकान पर सीखा था। जो गांव में चलती थी। उनसे भी पहले बंड़ा शाह इसे बनाते थे। उनका एक बेटा जिसका नाम गुरू था। वे मिर्जापुर में रहता था। वहां से यहां आया तो उसने सबसे पहले यह मिठाई बनाई। उसके पिता बंडा शाह ने ही इसका नाम मजिस्ट्रेट रखा था। तब से लेकर आज तक उसी नाम से बिक रही है।