बक्सर खबर। आज शरद पूर्णिमा की रात है। इस तिथि को लोग खीर का प्रसाद बनाते हैं। भगवान को उसका भोग लगाते हैं। उसे खुले आसमान के नीचे रखते हैं। सुबह उसका प्रसाद ग्रहण करते हैं। शास्त्रों में इसको लेकर कई तरह के वर्णन मिलते हैं। जैसे भगवान कृष्ण ने इसी दिन रासलीला की थी। ज्योतिष के जानकार पंडित नरोत्तम द्विवेदी बताते हैं आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को मध्यरात्रि में पूर्णिमा होने पर कोजागरी व्रत को किया जाता है। कोजागर का अर्थ कौन जागता है। आज लक्ष्मीदेवी और ऐरावतारूढ इंद्र एवं कुबेर का पूजन होता है। रात मे घी अथवा तेल से बहुसंख्यक दीप जलाया जाता है। ब्राह्मणों को घी- शक्कर मिश्रित खीर का भोजन कराया जाता है। इसमें प्रदोष और मध्यरात्रि दोनों में होने वाली पूर्णिमा ली जाती है। इसमें उदयातिथि सहित यदि पूर्णिमा मिलती है तो अति उत्तम है।
लिंगपुराणानुसार दयालुता की मूर्ति लक्ष्मी देवी मध्य रात्रि में भ्रमण करती हुई देखती हैं कि श्रद्धापूर्वक उनके लिए “कौन जाग रहा है?” इसीलिए इसका नाम कोजागरी व्रत पडा़ है। ऐसा करने से व्यक्ति के ऊपर लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। इस दिन रात में गाय के दूध का खीर बनाकर रात में चांदनी रात में खुले में रखा जाता है। ऐसा विश्वास है कि वर्ष में मात्र एक ही ऐसह पूर्णिमा है। जिस रात को चंद्रमा अपनी शीतल किरणों से अमृत बरसाता है। अगले दिन प्रसाद स्वरूप इसका सेवन किया जाता है। इससे वर्ष पर्यंत व्यक्ति स्वस्थ रहता है और दीर्घायु होता है। कांसे के पात्र में घी भरकर दान करने से व्यक्ति ओजस्वी होता है। अपरान्ह काल में हाथियों की आरती करने से उत्तम फल मिलता है। अन्य प्रकार के अनुष्ठान जैसे जप, तप, हवनादि करने से उनकी सफल सिद्धि होती है। बिल्वपत्र और घी से गायत्री मंत्र से हवन करना चाहिए अथवा कमल पुष्प या कमलगट्टे से गायत्री मंत्र से हवन करना चाहिए। इसमें व्यक्ति ‘ श्री’ सम्पन्न होता है।