बक्सर खबर : पत्रकार साथी को श्रद्धांजलि देते हुए बक्सर खबर ने चौबीस घंटे का काला दिवस मनाया। कलम का एक सिपाही फर्ज की राह में शहीद हो गया। उनकी याद में संजीत की खबर प्रकाशित करने के बाद हमने अगले चौबीस घंटे तक कोई खबर नहीं लिखी। इससे बक्सर खबर की सेहत को भले नुकसान पहुंचा हो। लेकिन, अगर डीएम के चले जाने पर तिरंगा झुक सकता है, एक कर्मचारी की मौत पर समाहरणालय बंद हो सकता है। तो एक पत्रकार की मौत पर क्या हमारा कोई दायित्व नहीं बनता। बक्सर खबर के अविनाश ने स्पष्ट कहा हम तो कस्बाई पत्रकार है किसी बड़ी कंपनी के मुलाजिम नहीं। एक दूसरे की जरुरत पर आगे आना चाहिए। आपस में एक दूसरे के लिए संवेदना होना बहुत जरुरी है। यही तो हमारी पूंजी है।
प्रभात खबर में काम करने वाले हमारे दो साथी हादसे के शिकार हुए। इनकी मौत हमारे लिए अभी भी पहेली है। लेकिन अखबार में बैठे हमारे बीच के वैसे लोग जो अपने आप को संपादक और उप संपादक कहते इतराते हैं। उनका जमीर शायद मर गया है अथवा वे हमें गुलाम समझते हैं। क्योंकि पिछली दो घटनाओं ने इसका ही एहसास कराया है। बहरहाल हमारा एक और साथी हमारे बीच नहीं रहा। जो यह ऐसा सोचने पर मजबूर करता है। बक्सर खबर की टीम के सदस्य अविनाश उपाध्याय, चुन्नू चौबे, बंटी, मोनू, सोनू व राजेश ने अपने साथी को याद किया। क्योंकि अब उसकी यादें हीं शेष रह गई हैं।
आपके इस कर्तव्य और अपने दायित्व के लिए मैं आपको नमन करता हूँ।
आप
जैसे सोच वाले अगर सब हो जाए वही सच्ची श्रद्धांजलि होगी अपने साथी के प्रति।