17वीं पुण्यतिथि पर अधिवक्ता घनश्याम मिश्रा को दी गई श्रद्धांजलि

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– बार भवन में आयोजित हुआ कार्यक्रम
बक्सर खबर। बक्सर जिला अधिवक्ता संघ के तत्वावधान में गुरुवार को बार भवन में वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. घनश्याम मिश्र को उनकी 17 वीं पुण्यतिथि पर याद किया गया। उपस्थित अधिवक्ताओं ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके पुत्र डॉ. कन्हैया मिश्रा ने उनकी यादों को साझा करते हुए कहा कि जब भी पिता जी से उनके काम के बारे में पूछता था तो वो कहते थे कि न्याय का पेशा एक पवित्र पेशा है। जब भी कोई व्यक्ति निराश हो जाता है तो वह न्याय के लिए न्यायालय की ओर ही देखता है। ऐसे में हम वकीलों का कर्तव्य बनता है कि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करते हुए समाज के अंतिम पायदान पर खड़े उस निराश व्यक्ति के मन में न्याय की उम्मीद जगा कर उन्हें न्याय दिलाए।

उनके पुत्र अधिवक्ता संजय मिश्रा ने कहा कि मुझे सदा ही इस बात का गर्व रहता है कि मेरे पिता समाज के उपेक्षित, वंचित और कमजोर व्यक्तियों के लिए न्याय प्राप्ति हेतु सदैव ही मुखर रहे। स्व. घनश्याम मिश्रा जन नायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज के अध्यापक के तौर पर सेवा प्रदान करने के साथ साथ उन्होंने भोजपुरी साहित्य के लिये भी अद्वितीय योगदान प्रदान किया। उनकी कुछ ख्यातिलब्ध रचनाओं में गीता का भोजपुरी अनुवाद, अमरावती कथा जिसका एक अंश ‘चाँदी का झुनझुना’ वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के एम.ए. की कक्षा में पढ़ाया भी जाता है।

उनकी अन्य रचनाओं में चकबंदी, विधान एवं तुलसीकृत पार्वती मंगल एवं जानकी मंगल का भोजपुरी अनुवाद भी काफी प्रचलित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजनी कुमार सिंह द्वारा कोविड 19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुये किया गया। कार्यक्रम का संचालन वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने किया। इस दौरान अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बबन ओझा, गणेश ठाकुर, सरोज उपाध्याय, विष्णु दत्त द्विवेदी, हृदय नारायण मिश्रा, मनीष पाण्डेय, चन्दन कात्यायन के अलावे अन्य लोगो ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

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